दिल्ली/पटना लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता बनने के बाद पशुपति कुमार पारस को भरोसा है कि उन्हें नए पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राष्ट्रीय...

दिल्ली/पटना लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता बनने के बाद पशुपति कुमार पारस को भरोसा है कि उन्हें नए पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राष्ट्रीय परिषद से मंजूरी मिल जाएगी। टाइम्स ऑफ इंडिया के जय नारायण पाण्डेय ने पारस से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि अपने भतीजे को पार्टी से बेदखल क्यों किया:- सवाल- किस वजह से पार्टी में रातोंरात तख्तापलट हुआ और आपको चिराग से इसकी बागडोर लेने की जरूरत क्यों पड़ी?जवाब- रातों-रात कुछ नहीं होता। दरअसल पिछले आठ महीने से विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग के फैसलों के खिलाफ पार्टी में चिंगारी सुलग रही थी। लोजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुझ पर बागडोर संभालने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होगा तो पार्टी नहीं बचेगी। चिराग के गलत फैसलों की वजह से लोजपा बिहार में चौथे से नीचे आठवें स्थान पर आ गई। हमारे इकलौते विधायक और एमएलसी भी सत्ताधारी दलों में चले गए। रामविलास जी का भाई होने के कारण मैं यह सब पचा नहीं पा रहा था। सवाल- चिराग के साथ क्या गलत था?जवाब- जब मेरे बड़े भाई रामविलास जी ने लोजपा को चिराग को सौंपा था, तो उन्होंने एक बाहरी व्यक्ति को पार्टी के साथ-साथ परिवार को भी नियंत्रित करने की अनुमति दी। रामविलास बीमार थे और उन्होंने भी दखल नहीं दिया। हम 2014 से एनडीए में थे और बिहार में लगातार दो लोकसभा चुनाव जीते। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एनडीए के पार्टनर के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन चिराग ने एक एनडीए सहयोगी (बीजेपी) का समर्थन करने और दूसरे (जेडीयू) का विरोध करने का फैसला किया। राजनीति में ऐसा कभी नहीं होता। सवाल - आगे क्या? आप पार्टी का नेतृत्व कैसे करेंगे?जवाब- चूंकि 95 प्रतिशत पार्टी कार्यकर्ता और नेता मेरे साथ हैं, इसलिए पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुनाव को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रीय परिषद की बैठक अगले पांच दिनों के भीतर पटना में होगी। लोजपा एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरेगी क्योंकि दलित सेना प्रमुख के रूप में मैं ही इसके संगठनात्मक मामलों को देखता था। मैं 7 बार विधायक रहा, एक बार एमएलसी रहा और चार बार मंत्री रहा हूं। सवाल- क्या इस पूरी कहानी में जेडीयू की कोई भूमिका है क्योंकि पार्टी चिराग से बदला लेना चाहती थी, नीतीश और उनके उम्मीदवारों का विरोध करने के फैसले ने विधानसभा चुनाव में जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था, क्या जेडीयू में विलय की कोई बात चल रही है?जवाब- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। यह सब मीडिया की मनगढ़ंत कहानियां हैं। हमारे मामले में किसी अन्य पार्टी की कोई भूमिका नहीं है। लोजपा एक कैडर आधारित पार्टी है और इसकी दलित सेना के बिहार के कोने-कोने में कार्यकर्ता हैं। सवाल- क्या दिल्ली में जेडीयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह सोमवार को वैशाली सांसद के आवास पर लोजपा के पांच सांसदों की बैठक में शामिल हुए थे ताकि अगली योजना बनाई जा सके?जवाब- उन्हें केवल दोपहर के खाने पर आमंत्रित किया गया था। सवाल- एलजेपी के ताजा घटनाक्रम के बाद जब चिराग आपके घर आए तो आप उनसे नहीं मिले। क्यों?जवाब- मैं घर पर नहीं था। वह मेरे भतीजे हैं और पार्टी का हिस्सा बने रहने के लिए उनका स्वागत है। मैंने जो भी फैसला लिया वो पार्टी को बचाने के लिए मजबूरी में था। केवल नेतृत्व बदला है, और कुछ नहीं। सवाल- आप सीएम नीतीश कुमार को पसंद करते हैं और विधानसभा चुनाव के वक्त आमने उनके समर्थन में बयान भी दिया था। जिसके बाद चिराग काफी नाराज हुए थे। सीएम नीतीश कुमार के साथ आपके संबंध कैसे हैं?जवाब- हां, मैं नीतीश कुमार का समर्थन करता हूं, जिन्होंने बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ किया है। वास्तव में आप जिस बयान का जिक्र कर रहे हैं, वह पार्टी के मामलों में दरकिनार किए जाने का एक कारण था। सवाल- क्या आपको केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री बनाने का कोई वादा किया गया है?जवाब- यह पीएम का विशेषाधिकार है और केवल वे ही इसके बारे में जानते हैं। लेकिन लोजपा 2014 से एनडीए के साथ है और आखिरी सांस तक उसके साथ रहेगी।
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