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अनुश्री की पेंटिंग देख नहीं हटेंगी नजरें, आर्थिक तंगी की वजह से जमीन पर बैठकर उकेर रही 'भविष्य'

छतरपुर कहते हैं कि अगर किसी इंसान में कुछ करने का हौसला होता है तो फिर हालात कैसे भी हो इंसान अपनी पहचान बना ही लेता है। कुछ ऐसा ही कर दि...

छतरपुर कहते हैं कि अगर किसी इंसान में कुछ करने का हौसला होता है तो फिर हालात कैसे भी हो इंसान अपनी पहचान बना ही लेता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में रहने वाली 25 साल की अनुश्री गुप्ता () ने। अनुश्री की बनाई हुई स्केच पेंटिंग की चर्चा देश ही नहीं विदेश में भी होती है। अनुश्री परिवार के साथ छतरपुर के बिजावर नगर में रहती है। आर्थिक हालातों से जूझ रही अनुश्री गुप्ता () को इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी और सब कुछ ठीक हो जाएगा। वहीं, पेंटिंग के जरिए नाम कमान चाहती है। अनुश्री पूरी तरह से पेंटिंग पर ही फोकस करती हैं। कोविड वजह से सभी की आर्थिक स्थिति खराब है। अनुश्री को भी इससे दो चार होना पड़ रहा है। तीन सालों में विदेश में कमाया नाम अनुश्री गुप्ता ने 2020 में छपने वाली अंतरराष्ट्रीय मैगजीन में 17वां स्थान पाया है। साथ ही 2020 में यूनाइटेड किंगडम में कोरोना के चलते होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पेंटिंग प्रतियोगिता 2020 में अपनी कला का लोहा मनवाया है। इस प्रतियोगिता में 45 देशों के कलाकार शामिल हुए थे। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी अनुश्री प्रथम पुरस्कार पा चुकी हैं। ब्रुश और कैनवास स्टैंड तक के लिए करना पड़ रहा संघर्ष अनुश्री गुप्ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मां रागिनी गुप्ता सरस्वती स्कूल में एक शिक्षिका है और उन्हें महज 3 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है तो वही पिता दिनेश गुप्ता एक छोटी सी किराना की दुकान चलाते हैं। अनुश्री की मां रागिनी बताती हैं कि परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। यही वजह है कि हम अपनी बेटी के लिए उन तमाम संसाधनों का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। हालात यह है कि कैनवास स्टैंड ना होने के कारण उनकी बेटी जमीन पर ही बैठकर अपनी कलाकृतियां बनाती हैं। अनुश्री ने कहा कि उनके परिवार की आर्थिक हालात ठीक नहीं है। यही वजह है कि ना तो उन्हें उनकी पेंटिंग एवं स्केचिंग को लेकर जिस टूल किट की आवश्यकता होती है, वह नहीं मिल पाती है। आर्थिक संकट इतना ज्यादा है कि कभी-कभी पेंटिंग ब्रुश और कैनवास स्टैंड के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। बिना ट्रेनिगं लिए कर ली महारत हासिल अनुश्री ने पेंटिंग की किसी भी तरह की न तो ट्रेनिंग ली है और न ही कोर्स किया है। उन्होंने कहा कि उसकी मां बहुत पहले थोड़ा बहुत स्केच पेंटिंग बनाती थी। उन्हीं को देखकर उसने स्केच बनाना शुरू किया और आज स्केच पेंटिंग के अलावा कल्चर पेंटिंग में अनुश्री को महारत हासिल है। अनुश्री की बनाई हुई कई पेंटिंग 4 हजार से लेकर 10 हजार तक में बिक चुके हैं लेकिन अनुश्री चाहती है कि उसे अधिक से अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने की इच्छा है। ताकि उसकी कला में और निखार आए। साथ ही वह अपना एक स्टूडियो डालना चाहती है। वहीं, अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक न एक दिन उनके हालात बदलेंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा। वह अपनी कला से अपने क्षेत्र का नाम पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में रोशन करेंगी। इसके साथ ही परिवार के लोग चाहते हैं कि किसी न किसी तरह अनुश्री को एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिले, जिससे उसकी कला को पहचान मिल सके।


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