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अमरिंदर को 'कैप्टन' नहीं मानेंगे सिद्धू, डेप्युटी CM का पद ठुकराया, पंजाब में आखिर क्या चल रहा है

चंडीगढ़ पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई थमने की बजाय बढ़ती जा रही है। राजनीतिक अज्ञातवास में चल रहे नवजोत सिद...

चंडीगढ़ पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई थमने की बजाय बढ़ती जा रही है। राजनीतिक अज्ञातवास में चल रहे नवजोत सिद्धू ने डेप्युटी सीएम का पद लेने से इनकार कर दिया है। सिद्धू के यह प्रस्ताव ठुकराए जाने से दोनों नेताओं के बीच समझौता की कवायद फिर से उलझ गई है। पिछले दिनों दिल्ली में पार्टी हाईकमान ने 5 दिन तक पंजाब मामले में बैठक की थी और फिर अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी। सोनिया से मुलाकात के पहले हाईकमान की कमिटी ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश में डेप्युटी सीएम बनाने का फार्म्युला दिया जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है। इस बीच पार्टी ने उन्हें संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर पद दिए जाने का भी प्रस्ताव दिया है लेकिन उसे भी सिद्धू ने नकार दिया है। सिद्धू का कहना है कि वह पंजाब की राजनीति में ही दिलचस्पी रखते हैं। सिद्धू में मन में क्या चल रहा है? अब सिद्धू क्या करवट लेंगे, इसे लेकर अब भी संशय है। पार्टी हाईकमान से मीटिंग के बाद से वह सामने नहीं आए हैं और न ही कोई ट्वीट किया है। इससे पहले एक जून को पैनल से मुलाकात के बाद सिद्धू ने ट्वीट किया था कि लोगों की ताकत उनके हाथों में लौटानी चाहिए। पंजाब की प्रगति में हर पंजाबी को हिस्सेदार बनाया जाना चाहिए। कैप्टन और सिद्धू में लंबे समये से विवादनवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। पिछले कुछ समय से गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के विरुद्ध कार्रवाई नहीं किए जाने को मुद्दा बनाकर सिद्धू कैप्टन के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। नवजोत सिद्धू के समर्थन में हाल ही में अमरिंदर के गृह जिला पटियाला में होर्डिंग लगाए गए थे। जिसमें अमरिंदर पर उंगली उठाते हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई थी। अमृतसर में लगे सिद्धू के पोस्टर इसके बाद पंजाब के अमृतसर और अबोहर क्षेत्र में नवजोत सिद्धू के समर्थकों ने पोस्टर लगाए। इस बीच पार्टी हाईकमान द्वारा विवाद सुलझाने के लिए बनाई गई तीन सदस्यों वाली कमेटी ने प्रदेश के सभी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों से बातचीत करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट के बाद 20 जून को सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं को तलब कर रखा है।


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