जयपुर राजस्थान में जंगलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। बीते दिनों हुई कुछ घटनाओं से तो ऐसा ही लग रहा है। प्रदेश में लगातार वन विभाग के कर्म...

जयपुर राजस्थान में जंगलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। बीते दिनों हुई कुछ घटनाओं से तो ऐसा ही लग रहा है। प्रदेश में लगातार वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मारपीट के मामले सामने आ रहे है। वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार के वन मंत्री सुखराम विश्नोई पर खुद अवैध खनन के आरोप लग रहे हैं। इसकी बानगी हाल में तब देखने को मिली कि जब दो साल के लंबे अंतराल के बाद कोटा प्रवास पर रहे थे। यहां कोटा सर्किट हाउस में वनमंत्री ने जनसुनवाई की। इसमें उन्हें खुद के नाम की कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की गंभीर आरोपों की शिकायत सुननी पडी। हालांकि वनमंत्री के मुंह से शिकायत सुनने के बाद एक लव्ज नहीं निकला और उनकी चुप्पी कई सवाल खडे कर दिए। अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या सुखराम विश्नोई से वन विभाग संभल नहीं रहा है। क्या लगाए गए आरोप दरअसल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सत्यनारायण मीणा ने मंत्री की जनसुनवाई में उनके ही बेटे और भतीजे पर अवैध खनन का आरोप जड़ दिया था। मीणा का कहना था कि बिश्नाई का बेटा व भतीजा बूंदी जिले के डाबी वनक्षेत्र में अवैध खनन कर रहे हैं। एक ही दिन में खनन माफिया 20-20 लाख रूपए का स्टेंड स्टोन निकाल रहे हैं। साथ ही जंगल की सुंदरता का धत्ता लगा रहे है। मंत्री प्रमोद भाया और विश्ननोई का गठजोड़ उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बढ़ रहे अवैध खनन के मामले में कई बार खननमंत्री प्रमोद भाया और वन मंत्री सुखराम विश्नोई का नाम उछलता रहा है। यह भी कहा जाता रहा है कि मंत्रियों और नेताओं के संरक्षण के चलते ही राजस्थान में जहां एक ओर अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं पुलिस और वन विभाग की टीम इन्हीं वजहों से ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने हिचकिचा जाती है। कोटा में हुई जनसुनवाई के दौरान भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी खनन मंत्री प्रमोद भाया और वन मंत्री विश्नोई की ओर से अवैध खनन माफियाओं के संरक्षण देने का आरोप लगाया था। वहीं पूर्व पंचायती राज मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह कुंदनपुर भी यह बात कई बार मीडिया के सामने कर चुके है। सीएम को वन मंत्री का महकमा बदलने के लिए लिखा पत्र उल्लेखनीय है कि जून माह में ही वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई को पद से हटाने की मांग उठी थी। यह मांग खुद कांग्रेस पार्टी के विधायक और पूर्व पंचायतराज मंत्री भरत सिंह ने उठाई थी। सांगोद विधानसभा से कांग्रेस विधायक सिंह ने खुद विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखते हुए वन मंत्री की जिम्मेदारी से बिश्नोई को मुक्त करने की मांग की थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि मंत्री विश्नोई की वन और वन्यजीवों में नहीं है, लिहाजा ढाई साल के कार्यकाल में एक बार भी किसी सेंचुरी, अभ्यारण में और टाइगर रिजर्व में विजिट करने नहीं किया। ऐसे में जंगलों का और वन्यजीवों का सत्यानाश प्रदेश में देखने को मिल रहा है। लिहाजा उन्हें सरकार को कोई दूसरा महकमा दे देना चाहिए। बता दें कि भरत सिंह सांगोद विधायक होने के साथ प्रदेश के स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के सदस्य हैं।
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