राशिद जहीर, मेरठ उत्तर प्रदेश के मेरठ के हज़रत बाले मियां कब्रिस्तान में पिछले 2 महीनों में रिकॉर्ड 1087 मुर्दों को दफन किया गया, जो इस क...

राशिद जहीर, मेरठ उत्तर प्रदेश के मेरठ के हज़रत बाले मियां कब्रिस्तान में पिछले 2 महीनों में रिकॉर्ड 1087 मुर्दों को दफन किया गया, जो इस कब्रिस्तान के एक हजार साल के इतिहास में पहली बार हुआ है। बताया गया कि इतने सारे शवों की वजह से कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई और कई बार कब्रिस्तान में दोबारा से मिट्टी डालने का काम किया गया। कोरोना की दूसरी लहर में इतनी मौतें होने से कब्रिस्तान चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि, मेडिकल विभाग की ओर से जारी आंकड़े इन मौतों की संख्या से मेल नहीं खाते। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक हजार साल पुराने कब्रिस्तान हजरत बाले मियां में पिछले अप्रैल और मई के दो महीनों में 1087 लोगों को दफन किया गया। यह कब्रिस्तान का रिकॉर्ड है। साल 1034 में बना यह कब्रिस्तान हजरत बाले मियां के मजार के नाम से मशहूर है और मेरठ का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। कब्रिस्तान के मुतावल्ली (प्रबंधक) मुफ्ती अशरफ बताते हैं कि अप्रैल और मई के दो महीनों में यहां पर 1087 जनाजे लाए गए। कोरोना से मौतों का प्रमाण नहीं ये मौतें कोरोना की दूसरी लहर में हुईं थी लेकिन इस बात का उनके पास कोई प्रमाण नहीं है कि इन मौतों में कितने लोगों की कोरोना की वजह से मौत हुई। इसकी एक वजह प्रबंधक ये भी बताते हैं कि जिन लोगो की घरों में मौत हुई थी, उनके परिवार वाले मौत की वजह छिपाते थे लेकिन जो मुर्दे सीधे अस्पताल से कोविड प्रोटोकॉल के साथ आए उनका डेटा भी सवा सौ से ज्यादा का है। अप्रैल में 54 और मई में हुई 304 मौतें मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन ने एनबीटी को बताया कि अप्रैल महीने में कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा 54 है जबकि मई महीने में ये मौतें 304 हैं। सीएमओ के मुताबिक पूरे जिले में अप्रैल और मई में 358 मौतें कोरोना के चलते हुईं। मेरठ के सिर्फ एक बड़े कब्रिस्तान का यह डाटा हिला देता है। सिर्फ अप्रैल और मई के 60 दिनों में 1087 लोग इस अकेले कब्रिस्तान में दफन हो गए। ऐसे मेरठ में दर्जनों कब्रिस्तान है। कब्रिस्तान के आसपास डर का माहौल बाकी कब्रिस्तानों और शमशान घाटों का आंकड़ा अगर इकट्ठा किया जाएगा तो संख्या कितनी बढ़ेगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। कब्रिस्तान के पास रहने वाले याद करके सिहर जाते हैं। कब्रिस्तान के पास रहने वाले कॉलोनी में इन्वर्टर ठीक करने वाले कारीगर शहजाद का कहना है कि उन्होंने अपनी जीवन में 1 दिन में इतने जनाजे आते हुए बाले मियां कब्रिस्तान में नहीं देखे। वहीं कॉलोनी के अन्य लोग भी कोरोना काल में इतने जनाजे को देखकर भयभीत रहते थे। कब्रिस्तान के ठीक सामने बसी कॉलोनी राम नगर में रहने वाले लोग अपने बच्चो को उधर देखने से भी रोकते थे।
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