पटना: बिहार की सत्ताधारी जेडीयू की हाल ही में 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 403 सीटों में से 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की घो...
पटना: बिहार की सत्ताधारी जेडीयू की हाल ही में 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 403 सीटों में से 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा ने चुनावी पंडितों को चौंका दिया है क्योंकि पार्टी का पड़ोसी राज्य में चुनावी राजनीति में प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है। यूपी में फिलहाल योगी यानि बीजेपी का कब्जा है। 'बीजेपी के साथ चुनाव लड़ना चाहती है जेडीयू' JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता और यूपी प्रभारी केसी त्यागी के मुताबिक 'हमने यूपी विधानसभा चुनाव में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गठबंधन बनाने के लिए हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी होगी। अगर यह अमल में नहीं आता है, तो हम असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल की तरह अकेले जाएंगे।' त्यागी के मुताबिक 'सच कहूं तो बीजेपी की वर्तमान स्थिति 2017 के जैसी नहीं है जब उसने 312 सीटें जीती और सत्ता में आई। आज चल रहे किसान आंदोलन से करीब 100 विधानसभा सीटें सीधे तौर पर प्रभावित हैं। पश्चिमी यूपी में 17% आबादी वाले अधिकांश जाट बीजेपी से नाखुश हैं। इसलिए बीजेपी को एक सहयोगी की जरूरत है।' 2017 में यूपी चुनाव से पीछे हटा था जेडीयू जेडीयू लगभग एक साल की तैयारी के बाद 2017 में यूपी चुनाव से पीछे हट गया था। तब तक बिहार के सीएम नीतीश कुमार मिर्जापुर, लखनऊ और वाराणसी सहित अन्य स्थानों पर लगभग एक दर्जन चुनाव से पहले सभाओं को संबोधित कर चुके थे। आरजेडी ने बताया सियासी दबाव का खेल हालांकि बिहार में विपक्षी नेताओं का मानना है कि जेडीयू अपने सहयोगी पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह यूपी चुनाव में बीजेपी से कुछ सीटें हासिल कर सके। आरजेडी के मुताबिक 'बीजेपी ने पश्चिम बंगाल, असम और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उसके अधिकांश उम्मीदवार तीन राज्यों में अपनी जमानत राशि तक नहीं बचा सके। जहां तक विधायकों की संख्या का सवाल है तो बिहार में बीजेपी तीसरे स्थान पर आ गया है। बीजेपी अपनी सीट नंबर-3 पार्टी को क्यों देगी?' मांझी की पार्टी का सहारा ले सकती है बीजेपी उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान दलित वोट बैंक को देखते हुए बीजेपी ने मांझी की पार्टी को अपने साथ ले चलने का फैसला लिया है। यूपी में मौजूदा दलित राजनीतिक संगठनों के रूप में बीजेपी को लगता है कि पूर्व सीएम मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ने भीम आर्मी के रूप में अपनी ताकत खो दी है। लेकिन सवाल यह है कि मांझी की पार्टी यूपी में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। HAM प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि 'बिहार में मांझी की बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा का एजेंडा पहले ही तय कर लिया गया था। ये न्यायपालिका और निजी क्षेत्र में भी दलित वर्गों के आरक्षण के लिए हमारी पार्टी की मांग से संबंधित है। बिहार में विकास के मामले भी एजेंडे में होंगे।'
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