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वेंटिलेटर पर मां, इमरजेंसी सर्जरी से डिलीवरी... आखिर 21 दिन तक जंग के बाद नवजात ने मौत को हरा दिया

कोलकाता वह अपनी मां के पेट में थी, जब मां का कोविड हो गया। मां की हालत बिगड़ी तो उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। मां के बचने की उम्मीद नही...

कोलकाता वह अपनी मां के पेट में थी, जब मां का कोविड हो गया। मां की हालत बिगड़ी तो उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। मां के बचने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए डॉक्टरों ने सी-सेक्शन से बच्चे की डिलीवरी करवाई। प्री-मेच्योर बच्चे के इस दुनिया में आने के कुछ घंटे बाद मां की मौत हो गई। बच्ची की हालत भी गंभीर थी, लेकिन 21 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद अब बच्ची भी पूरी तरह से ठीक है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह अपने पिता, दस साल के भाई और दादा-दादी के साथ रहेगी। 12 जून को सरकारी मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में 31 वर्षीय राखी मंडल बिस्वास को भर्ती कराया गया। उन्हें गंभीर कोविड न्यूमोनिटिस था। बोंगोअन निवासी राखी की हालत बिगड़ती रही। उनका ऑक्सिजन लेवल गिरता गया। गर्भ में 32 सप्ताह का भ्रूण था और ऑक्सिजन लेवल 60 तक गिर गया था। बच्चे के जन्म से कुछ घंटे बाद हुई मौत वेंटिलेटर पर रही राखी के पेट में पल रहे अजन्मे बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों ने इमरजेंसी सर्जरी की। प्री मैच्योर बच्चे की डिलीवरी के कुछ घंटे बाद ही राखी की मौत हो गई। एमसीएच में स्त्री रोग प्रमुख पार्थ मुखर्जी ने कहा कि अगर हम इमरजेंसी सी-सेक्शन नहीं करते तो बच्ची की भी जान चली जाती। पहले से मौजूद रही टीम सर्जरी से पहले ही शिशु की देखभाल के लिए एक बाल रोग टीम ऑपरेशन थियेटर में बिस्तर के पास खड़ी हो गई। एसएनसीयू के प्रभारी दिनेश मुनियान ने बताया कि बच्ची जन्म लेने के बाद नहीं रोई। उसे सांस लेने में तकलीफ थी। उसे तुरंत वेंटिलेशन पर रखा गया और एसएनसीयू में ट्रांसफर किया गया। ऐसे हालत में हुआ सुधार बच्ची की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी निगरानी करती रही। वेंटिलेटर पर भी बच्ची को सांस लेने में समस्या हो रही थी। हालांकि धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार होने लगा। वेंटिलेटर से सीपीएपी और बाद में ऑक्सिजन सपॉर्ट पर रही बच्ची अब खुद से सांस लेने लगी है। वह दूध पी रही है और उसका वजन भी बढ़ा है। डॉक्टर मान रहे चमत्कार डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची का जिंदा होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। समय रहते सर्जरी करके बच्ची को गर्भ से बाहर निकाल लिया गया। 21 दिनों तक बच्ची की हालत कई बार बिगड़ी। वेंटिलेटर पर भी वह ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी। तमाम उतार-चढ़ाव के बाद बच्ची का जीवन बच गया।


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