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मंगलवार को राष्ट्रपति ने कैबिनेट मंत्री रहे थावरचंद गहलोत को कर्नाटक और हरि बाबू कंभमपति को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया

  मंगलवार को राष्ट्रपति ने कैबिनेट मंत्री रहे थावरचंद गहलोत को कर्नाटक और हरि बाबू कंभमपति को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया है। गुजरात के ...

 



मंगलवार को राष्ट्रपति ने कैबिनेट मंत्री रहे थावरचंद गहलोत को कर्नाटक और हरि बाबू कंभमपति को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया है। गुजरात के भाजपा नेता मंगूभाई छगनभाई पटेल को मध्यप्रदेश, राजेंद्रन विश्वनाथ अर्लेकर को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। श्रीधरन पिल्लई को गोवा, सत्यदेव नारायण आर्य को त्रिपुरा, रमेश बैंस को झारखंड और बंडारू दत्तात्रेय को हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।



केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद राज्यसभा में सरकार और भाजपा के बीच बड़े बदलाव तय हो गए हैं। गहलोत राज्यसभा में भाजपा के नेता होने के साथ नेता सदन भी हैं। अब पार्टी को सदन में नया नेता चुनना होगा। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल के साथ राज्यसभा की एक सीट भी रिक्त हो जाएगी। इसके साथ ही भाजपा संसदीय बोर्ड में भी एक जगह रिक्त होना तय है।



थावरचंद गहलोत का पार्टी व सरकार में काफी बड़ा कद था। उनको सक्रिय राजनीति से हटाकर राज्यपाल बनाए जाने के बाद कई बदलाव भी तय हो गए हैं। राज्यसभा में पार्टी के नेता के नाते वह नेता सदन भी है। राज्यसभा में पार्टी के उपनेता केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल है। संभावना यही है कि पियूष गोयल को पदोन्नत कर नेता सदन बनाया जा सकता है। हालांकि उच्च सदन में पार्टी के पास अन्य कई वरिष्ठ नेता भी हैं। इनमें मुख्तार अब्बास नकवी, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, प्रकाश जावड़ेकर शामिल है।


राज्यसभा की एक सीट भी थावरचंद के इस्तीफे के बाद रिक्त हो जाएगी। उसका भी उप चुनाव होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी थावरचंद की जगह नए मंत्री को शामिल किया जाएगा। चूंकि गहलोत दलित समुदाय से आते हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। इसलिए किसी वरिष्ठ दलित नेता को ही मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी।


भाजपा संगठन में भी थावरचंद के राज्यपाल बनने से केंद्रीय संसदीय बोर्ड में एक और रिक्ति हो जाएगी। संसदीय बोर्ड में पहले से ही कई रिक्तियां है। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जब अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ नए संसदीय बोर्ड और अन्य नई समितियों का गठन करेंगे। तब कई नए चेहरे शामिल किया जा सकेंगे। चूंकि संसदीय बोर्ड में एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से रखना जरूरी है। इसलिए किसी दलित या आदिवासी नेता को ही इसमें शामिल किया जाएगा।



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