असित शुक्ला, पीलीभीत जंगल का रास्ता और अंधेरी रात। जरा सोचिए ऐसे में बाघ अगर हमला करे और उसके जबड़े में किसी का सिर आ जाए तो क्या होगा। अ...

असित शुक्ला, पीलीभीत जंगल का रास्ता और अंधेरी रात। जरा सोचिए ऐसे में बाघ अगर हमला करे और उसके जबड़े में किसी का सिर आ जाए तो क्या होगा। अंजाम का अंदाजा हर किसी को होगा। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में ऐसा ही कुछ हुआ। हालांकि बाघ के जबड़े और युवक की जिंदगी के बीच हेलमेट आ गया। खौफनाक आपबीती सुनाते हुए युवक ने कहा कि बाघ उसके सिर को हेलमेट में ले रहा था लेकिन हेलमेट ने उसे बचा लिया। पीलीभीत की दियूरिया रेंज में स्थित खन्नौत नदी की पुलिया के पास तीन युवकों पर सोमवार को बाघ ने जानलेवा हमला कर दिया था, जिसमें दो की मौत हो गई थी। विकास नाम के युवक ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। विकास ने मंगलवार को मौत के मंजर का आंखों देखा हाल बताया। विकास ने बताया कि दोस्तों को निवाला बनाने के बाद दोनों बाघ पूरी रात पेड़ के नीचे इधर-उधर घूमते रहे और मेरा पेड़ से नीचे उतरने का इंतजार करते रहे। फिर बाद में भोर होने से पहले जंगल में लौट गए। रविवार 11 जुलाई की रात का खौफनाक किस्सा सुनाते हुए विकास ने बताया, 'मैं जब बाइक पर सवार होकर दोस्तों के साथ जंगल में होकर गुजरने के लिए बॉर्डर पर पहुंचा तो वहां मौजूद वनकर्मियों ने शाम होने पर जानवर मिलने की बात चेतावनी दी लेकिन घर पहुंचने की जल्दी में हमने उनकी बात नहीं सुनी और आगे बढ़ गए। बाइक सोनू चला रहा था। बीच में कन्हई लाल और सबसे पीछे मैं बैठा था। बाइक की हेडलाइट खराब होने की वजह से हम दो बाघों को नहीं देख सके। हम उनके बहुत करीब आ गए और दोनों बाघों ने हम पर हमला कर दिया। उनमें से एक बाघ मुझ पर झपटा लेकिन मैं हेलमेट पहने हुए था। सोनू और कन्हई नहीं बच सके।' विकास ने बताया, 'जब बाघ ने पीछे से मुझ पर हमला किया तो उसके जबड़े में मेरा सिर आ चुका था। लेकिन हेलमेट की वजह से मैं बच गया। इस दौरान बाइक सड़क से नीचे अनियंत्रित होकर गिर गई। तभी पीछे से बाघ ने दुबारा से उस पर हमला किया तभी सोनू और कन्हई लाल ने दौड़ लगा दी। इसके बाद दोनों बाघ उनके पीछे दौड़ पड़े। एक बाघ ने सोनू को मारकर जबड़े में उठा लिया, वहीं दूसरे बाघ ने पेड़ पर चढ़ रहे कन्हई लाल पर झपट्टा मारकर पेड़ के नीचे गिरा लिया और उसे अपना निवाला बना लिया।' विकास को लग रहा था कि वह बच नहीं पाएगा लेकिन उसकी एक तरकीब काम आ गई। विकास ने बताया, 'इस दौरान मौका पाकर मैं पेड़ पर ऊंचाई पर चढ़ गया। तकरीबन 8 घंटे तक वहीं डरा सहमा बैठा रहा। इस दौरान दोनों बाघ मुझे भी निवाला बनाने के लिए लगातार उसी पेड़ के नीचे मंडराते रहे। सुबह तकरीबन चार बजे दोनों बाघ जंगल की ओर अंदर चले गए। इसे बाद जब मैंने लकड़ी बीनने आए लोगों को देखा तब पेड़ से उतरकर उनके साथ घर गया।' पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है, 'चलती बाइक पर टाइगर हमला नहीं करता। टाइगर को देखकर बाइक सवार के गिरने की आशंका ज्यादा है। हमारे स्टाफ ने बताया कि तीनों ने शराब पी रखी थी और मना करने के बाद भी तीनों जंगल की तरफ निकल गए थे। घटना जंगल के अंदर की है इसलिए मुआवजे का प्रावधान नहीं है। अन्य संस्था द्वारा मदद के लिए प्रयास किए जाएंगे।' (टीओआई संवाददाता कंवरदीप सिंह से मिले इनपुट के साथ)
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