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नवंबर में इंडिया पहुंच रहे हैं अफ्रीकी चीते, भारत के दिल में सुनाई देगी इनकी दहाड़

भोपाल देश के दिल () में एक बार फिर से चीते की दहाड़ सुनाई देगी। आजादी के बाद पहली बार जंगलों में चीते नजर आएंगे। नवंबर (Cheetahs Coming I...

भोपाल देश के दिल () में एक बार फिर से चीते की दहाड़ सुनाई देगी। आजादी के बाद पहली बार जंगलों में चीते नजर आएंगे। नवंबर (Cheetahs Coming In November) महीने में 20 चीते दक्षिण अफ्रीका से यहां पहुंच जाएंगे। इन सभी को कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा। मध्यप्रदेश को हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है। इसे पहले से ही टाइगर और लेपर्ड स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। अब यहां के कूनो नेशनल पार्क में चीता का भी वास होगा। इससे प्रदेश को चीता स्टेट का भी ताज मिल जाएगा। एमपी के वन मंत्री विजय शाह ने मंगलवार शाम भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में एक कार्यक्रम में यह घोषणा की है। नवंबर में दो चरणों में 10 नर और 10 मादा चीतों को दक्षिण अफ्रीका से ग्वालियर भेजा जाएगा। वहां से उन्हें सड़क मार्ग से श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क में भेजा जाएगा। मंत्री विजय शाह वन विहार में आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह में पहुंचे थे। उन्होंने कूनो राष्ट्रीय उद्यान चीता बहाली परियोजना पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक शुभंकर 'चिंटू चीता' का विमोचन किया। पांच साल में 20 चीतों के रखरखाव पर करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पेट्रोलियम कंपनियों की मदद से वन विभाग ने इसे अरेंज किया है। देश में अंतिम चीते की मौत छत्तीसगढ़ में 1947 में हो गई थी। उसके बाद 1952 में यह घोषणा कर दी गई थी कि भारत में कोई चीता नहीं है। चीता को फिर से देश में लाने के लिए लंबे समय से प्रोजेक्ट चल रहा है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथरिटी को इसकी मंजूरी दी है। प्रयोग के लिए अफ्रीकन चीते को भारत के जंगलों में लाया जाए। पिछले कुछ महीनों से प्रोजेक्ट ने फिर रफ्तार पकड़ी है। मार्च 2021 में एक्सपर्ट की टीम ने कूनो राष्ट्रीय पार्क का सर्वेक्षण किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीताओं को यहां रखा जा सकता है। कूनो पार्क को इस हिसाब से तैयार किया जा रहा है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी इस प्रोजेक्ट पर जनवरी महीने में मीटिंग की थी। कूनो राष्ट्रीय पार्क 750 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके बीच में सिर्फ एक गांव आता है, इसको भी कहीं और शिफ्ट कर दिया गया है। कूनो के अलावा 1200 किलोमीटर में फैले नौरादेही अभ्यारण को भी चीतों के लिए अनुकूल माना गया था, लेकिन कूनो को ज्यादा अनुकूल माना गया। राजस्थान में चीतों के लिए गांधी सागर-चितौड़गढ़-भैंसरोदगढ़ अभ्यारण का भी सर्वेक्षण किया गया था। कूनो को पहले गिर से शेर लाने के लिए भी चूना गया था। कब क्या हुआ
  • अगस्त 2019 में दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथरिटी को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली
  • अक्टूबर 2020 में कूनो, नौरादेही समेत एमपी में पांच अभ्यारणों को शॉर्ट लिस्ट किया गया। साथ ही राजस्थान का शाहगढ़ भी शामिल था।
  • नवंबर 2020 में शॉर्ट लिस्टेड साइटों की सर्वे शुरू हुई
  • जनवरी 2021 में सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मीटिंग हुई, इसमें कूनो को सबसे आदर्श माना गया।
  • मार्च 2021 में कूनो राष्ट्रीय उद्यान का डिटेल सर्वे शुरू हुआ
  • जुलाई 2021 में मंत्री ने घोषणा की है कि अब चीजा कूनो नेशनल पार्क में आ रहे हैं
कूनो को क्यों चुना गया
  • एक समय में कूनो चीताओं का घर रहा है
  • कूनो राष्ट्रीय पार्क के आसपास कोई गांव नहीं हैं
  • यहां उनके शिकार के लिए भी अच्छ व्यवस्था है


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