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Kota: हाड़ौती में मानसून की दस्तक, कोटा में पौन घंटे में 1 इंच से ज्यादा हुई बारिश

कोटा। हाड़ौती में जून माह लगभग सूखा गुजरा लेकिन महीने के अंतिम दिन यानी बुधवार को हुई बारिश ने क्षेत्र के किसानों में खरीफ सीजन की फसल बुव...

कोटा। हाड़ौती में जून माह लगभग सूखा गुजरा लेकिन महीने के अंतिम दिन यानी बुधवार को हुई बारिश ने क्षेत्र के किसानों में खरीफ सीजन की फसल बुवाई की बडी उम्मीद जगा दी है। बुधवार को हाड़ौती अंचल में मानसून ने आखिरकार दस्तक दी। संभाग मुख्यालय कोटा शहर में देरशाम को घनघोर बादलों की घटाएं छाईं और पौन घंटा बादल झूमकर बरसे। मौसम विभाग के आंकडें के मुताबिक इस पौन घंटे में कोटा संभाग मुख्यालय पर 29.4 एमएम बारिश दर्ज की गई, जो 1 इंच से ज्यादा रही। हालांकि मौसम विभाग ने हाड़ौती में मानसून आने की अधिकारिक घोषणा नहीं की है। बारिश के साथ ही इलाके में औसत 9 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चली। ऐसे में कोटा शहर के अंदर कई स्थानों पर पेड धराशायी हुए, तो परकोटा शहर में एक पेड़ के नीचे एक गाय दब गई। वहीं कोटा संभाग के बूंदी जिले में तालेडा-केशवरायपाटन कस्बों के बीच स्थित छपाउदा गांव के पास राजस्थान विद्युत प्ररसारण निगम की 132केवी हाईटेंशन लाइन का पोल खेतों में जा गिरा। जिसके तार सड़क के ऊपर कुछ ऊंचाई पर नजर आ रहे हैं। हाड़ौती में झालावाड़ में बुधवार को बादल छाए रहे। बारां शहर में कुछ देर के लिए हल्की बारिश हुई, तो कोटा शहर और ग्रामीण जिले में कई स्थानों पर तेज बारिश हुई है। तो बूंदी जिले के कई ग्रामीण इलाकों में बादलों की गर्जाना के साथ बारिश हुई है। कोटा शहर में शाम के वक्त हुई बारिश से शहरवासियों को तेज उमस से राहत मिली। वहीं तेज बारिश के कारण शहर के नीचे इलाकों बरसात का पानी जमने की समस्या उत्पन्न हुई। नालें दरिया की तरह बहते हुए दिखाए दिए। सड़कों के किनारे खाली स्थानों पर बरसात का पानी जमा हुआ है। किसानों के चेहरों से छंटी मायूसीअधिकारिक रूप से नहीं लेकिन मानसून की दस्तक में हुई इस बारिश से इलाके किसानों के चेहरों पर जून माह के सूखा गुजरने से छाई मायूसी कुछ हद तक छंटी जरूर है। क्षेत्र में बारिश होने से धान, सोयाबीन उत्पादक किसानों में इन खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई करने को लेकर बड़ी उम्मीद जगी है। हाड़ौती अंचल में करीब 11 लाख हैक्टेयर में खेती किसानी होती है। अब तक सूखा पड़ने से किसानों के चेहरे उदास बने हुए हैं। बादल बरसे तो किसान खेतों में बीज डालें। बुवाई की किसानों ने तैयारियां पूरी की हुई है। सबसे ज्यादा परेशान धान उत्पादक किसान हैं, क्योंकि पानी के बिना और तेज गर्मी, उमस के कारण धान की पौध सूखने की आशंका किसानों को सता रही है। अब किसान जुलाई माह में अच्छी बारिश के होने की उम्मीद कर रहे हैं। ताकि खाली खेत फसलों से समय रहते लहलाए। (रिपोर्ट-अर्जुन अरविंद)


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