गाजियाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बढ़ते साइबर क्राइम पर बड़ी टिप्पणी की है कि साइबर ठग देश को खोखला कर रहे हैं। इस मामले में अगर गाजियाबाद ...

गाजियाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बढ़ते साइबर क्राइम पर बड़ी टिप्पणी की है कि साइबर ठग देश को खोखला कर रहे हैं। इस मामले में अगर गाजियाबाद की बात करें तो यहां रोजाना 17 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। 2021 में अभी तक साइबर ठग कई प्रकार से 2500 से ज्यादा लोगों को 25 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं। वहीं अगर लोगों को वापस मिलने वाले पैसे की बात करें तो वह कुल नुकसान का 2 फीसदी भी नहीं है। वहीं पीड़ितों की बात करें तो यह 1 फीसदी ही है। सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि साइबर क्राइम पर काम किया जा रहा है। सात गैंग गिरफ्तार इस साल सात गैंग को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा लोगों को रुपये भी वापस दिलवाए जा रहे हैं। हमारा प्रयास इस आंकडे को बढ़ाना है। कई बार शिकायत करने के तरीके और तथ्य छिपाने के कारण भी साइबर क्रिमिनल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। बीते तीन सालों में 2021 में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम 2020 में लॉकडाउन के बाद साइबर क्राइम तेजी से बढ़ा है। यह करीब 15 फीसदी तक बढ़ गया है। जिले में साइबर सेल का गठन कर उसका एक ऑफिस भी तैयार किया गया है, लेकिन अभी तक उसमें पर्याप्त टीम नहीं दी गई है। कुछ पुलिसकर्मी रोजाना हो रहे साइबर से लड़ रहे हैं। हालांकि इस बीच पुलिस ने साइबर सेल में रिपोर्ट के सिस्टम को शुरू किया, लेकिन थाने में रिपोर्ट दर्ज होने में महीनों निकल जाता है। बैंक से लेकर थाने तक लगाने होते हैं चक्करसाइबर क्राइम के बाद पीड़ित की सबसे बड़ी परेशानी इस मामले में शिकायत दर्ज करानी होती है। उसे पहली जानकारी बैंक को देनी होती है, लेकिन वहां पीड़ित को थाने की तरफ दौड़ा देते हैं। जहां कई दिनों तक चक्कर लगाने के बाद मुकदमा दर्ज होता है। ओटीपी पूछकर या अकाउंट में रुपये ट्रांसफर करवाने के मामले ज्यादाजानकारी के अनुसार जिले में इस साल मार्च से जून के बीच 1400 मामले साइबर क्राइम के आए थे जिनमें करीब साढ़े 500 क्रेडिड और डेबिट कार्ड से जुड़े थे। इन सभी मामलों में ज्यादातर लोगों को कई प्रकार की स्कीम, कार्ड बंद होने जैसे कॉल के बाद उनके अकाउंट से रुपये निकाले गए। कई मामलों में साइबर ठगों ने एनी वेयर डेस्क नाम से ऐप से लोगों के मोबाइल का एक्सेस ही अपने पास ले लिया। रुपये वापस आने के इंतजार में लोग केस-1 : साइबर क्राइम में कहीं कोई सुनवाई नहीं होती संजयनगर में रहने वाले सिलास थॉमस एक प्राइवेट कंपनी में सुपरवाइजर हैं। उन्होंने अपने घर को रिपेयर करने के लिए डेढ़ लाख रुपये का लोन लिया था। लोन लेने के बाद उनके पास 70 हजार रुपये बचे थे। जून में एक अनजान नंबर से उनके बेटे का नाम लेकर कॉल आई और कॉलर ने उनके अकाउंट में रुपये ट्रांसफर करके घर से कैश लेने की बात कही। पेटीएम का लिंक आया और अकाउंट से 70 हजार रुपये कट गए। मामले में 2 महीने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ। सिलास का कहना है कि साइबर क्राइम में कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है। केस-2 : एक साल होने पर सिर्फ दावे मिले राजनगर एक्सटेंशन की सोसायटी में रहने वाले सुरेश चंद को लक्की ड्रॉ में कार या 13 लाख रुपये जीतने का झांसा देकर 1 लाख 96 हजार रुपये की ठगी की गई थी। अक्टूबर में हुई ठगी में 20 दिन के बाद मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन रुपये कब मिलेंगे पता नहीं। सुरेश ने बताया एक बेटा है, वह भी कोमा में है। उसके इलाज में रोज हजारों रुपये खर्च होते हैं। 13 लाख से उसका बेहतर इलाज हो, इसके चलते ठगों के झांसे में आ गए थे।
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