पटना बिहार में अनलॉक 6 के बाद काफी हद तक राहत का माहौल दिख रहा है। राज्य में एक्टिव केस 100 के आसपास तक आ गए हैं। लेकिन इसी बीच एक रिपोर्...

पटना बिहार में अनलॉक 6 के बाद काफी हद तक राहत का माहौल दिख रहा है। राज्य में एक्टिव केस 100 के आसपास तक आ गए हैं। लेकिन इसी बीच एक रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। ये रिपोर्ट राज्य में कोरोना की तीसरी संभावित लहर को लेकर है। बिहार को पड़ेगी 17 हजार आईसीयू बेड की जरूरत- रिपोर्ट नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स ने अनुमान लगाया है कि अगर बिहार में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो बिहार को कम से कम 17,480 आईसीयू बेड की आवश्यकता होगी। इस रिपोर्ट को देखन के बाद चिंता होना स्वभाविक है क्योंकि अगर कोरोना तीसरी लहर आती है तो बिहार के लिए स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि यहां सिर्फ 1,500 आईसीयू बेड और 800 बेड वेंटिलेटर के साथ हैं। यानि रिपोर्ट में बताए गए आंकड़ों के सिर्फ 14 फीसदी। 100 में 23 पॉजिटिव को अस्पताल जाना पड़ सकता है ये टास्क फोर्स केंद्र की और से महामारी को लेकर आपातकालीन रणनीति तैयार करने के लिए बनाई गई है। पिछले महीने केंद्र को सौंपी गई अपनी सिफारिश में इस टीम ने बताया कि 23% कोरोना पॉजिटिव केस में अगली लहर में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। इसका मतलब है कि 100 में से कम से कम 23 कोविड पॉजिटिव लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना होगा। इसने यह भी अनुमान लगाया कि उत्तर प्रदेश में अधिकतम 33,000 आईसीयू बेड, महाराष्ट्र में 17,865 और बिहार में 17,480 बेड की आवश्यकता होगी। महाराष्ट्र ने कर लिया अपना आकलन महाराष्ट्र ने अपना आकलन कर लिया है और उसी के मुताबिक तैयारी कर रहा है। उनके अनुमान के अनुसार, अगली लहर में 60 लाख लोग संक्रमित हों सकते हैं और 4.51 लाख को अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता होगी। बिहार सरकार अभी भी लक्ष्य से काफी पीछे टास्क फोर्स के अनुमान को ध्यान में रखते हुए तीसरी लहर की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के सभी निर्देशों का पालन कर रही है। बचाव के लिए सभी नियमों का पालन करें- एक्सपर्ट्स इस बीच, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बिहार के लोगों को कोविड-उपयुक्त व्यवहार बनाए रखने की सलाह दी है, भले ही मामलों की संख्या गिर रही हो। कोविड-19 के लिए एम्स-पटना नोडल प्रभारीडॉ संजीव कुमार ने कहा कि वे आने वाली लहर के बारे में अध्ययन कर रहे हैं और इस समय ज्यादा बोलना मुश्किल है। डॉक्टर संजीव के मुताबिक 'सिर्फ बेड की संख्या बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। अस्पतालों में उचित बुनियादी ढांचा होना चाहिए। विभिन्न उपकरणों को संभालने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पतालों में तैनात करना होगा।'
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