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'बंद के लिए पाकिस्तान यूज करता है बंदूक, हमने डंडों का प्रयोग किया तो इसमें गलत क्या?'

जम्मू जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के दो साल 5 अगस्त को पूरे हुए। दूसरी वर्षगांठ पर कश्मीर में सब सामान्य रहा। खास सुरक्षाबलों क...

जम्मू जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के दो साल 5 अगस्त को पूरे हुए। दूसरी वर्षगांठ पर कश्मीर में सब सामान्य रहा। खास सुरक्षाबलों का प्रयोग भी नहीं किया गया। शांतिपूर्वक दो साल निकल गए। कोई बंद नहीं हुआ। इस पर बल का प्रयोग करने के आरोप पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने कहा कि अगर पाकिस्तान राज्य को बंद कराने के लिए आतंक का इस्तेमाल करके बंदूक का प्रयोग करता है तो हम उसे रोकने के लिए डंडे का प्रयोग करेंगे। इसमें कुछ गलत नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मनोज सिन्हा ने कहा, 'लोगों ने मुझसे कहा कि 5 अगस्त को बंद होगा। मुझे नहीं लगा कि 5 अगस्त कोई महत्वपूर्ण तारीख है... लेकिन भगवान की कृपा से, कोई बंद नहीं था। अंत में एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि बंद न हो यह सुनिश्चित करने के लिए मैंने डंडों का इस्तेमाल किया। मैंने तर्क दिया कि सारा ट्रैफिक चल रहा था और लोग बड़ी संख्या में खरीदारी कर रहे थे...ये सब डंडे के जोर से नहीं हो सकता है। लेकिन अगर आप मानते हैं, तो मैं इसे स्वीकर करता हूं। बंद भी तो पाकिस्तान और अतंकवाद की बंदूक से होता था। अगर मैंने डंडे का प्रयोग किया तो कुछ बुरा नहीं।' 'लाइन क्रॉस करने की इजाजत किसी को नहीं' सिन्हा पत्रकार बशीर असद की किताब 'कश्मीर : द वार ऑफ नैरेटिव्स' के विमोचन के मौके पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा: 'मेरा मानना है कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि यह सीमा रेखा है और किसी को भी इसे पार करने की अनुमति नहीं है... और जब तक मैं यहां हूं, यहां ऐसा ही रहेगा। कोई समझौता नहीं होगा।' 'बजट की कमी नहीं' मनोज सिन्हा ने कहा कि खुद को कश्मीर का विशेषज्ञ बताने वाले कुछ लोग अंतराराष्ट्रीय स्तर पर कहानियां गढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन भ्रांतियों से दूर होना महत्वपूर्ण है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि लोग क्या चाहते हैं और कैसे उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। अन्य राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर की तुलना करते हुए, मनोज सिन्हा ने सुझाव दिया कि यहां पर बजट की कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर का बजट और आबादी एलजी ने कहा, 'जब भी जम्मू-कश्मीर के बारे में बात की जाती है, तो कहा जाता है कि यह पिछड़ा और अविकसित है। जम्मू-कश्मीर को सही संदर्भ में समझना महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर की आबादी 1.25-1.30 करोड़ है। पिछले साल जम्मू-कश्मीर का बजट 1.10 लाख करोड़ रुपये था। अब पिछड़े माने जाने वाले बिहार और यूपी को भी लें। करीब 12 करोड़ की आबादी के मुकाबले बिहार में 2.18 लाख करोड़ रुपये का बजट है। यूपी की आबादी 23 करोड़ है और बजट 5.5 लाख करोड़ रुपये है। तो जम्मू और कश्मीर में प्रति व्यक्ति आवंटन इन राज्यों का नौ से दस गुना है। और आजादी के बाद से यहां ऐसा ही रहा है।' उपराज्यपाल ने कहा, 'युवा छात्र आते हैं और मुझे बताते हैं कि उन्होंने एमटेक किया है और सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। छात्रों को इस मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है।'


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