पटना: अगले कुछ दिनों में, उत्तरी बिहार के मैदानी इलाकों में बाढ़ की आशंका फिर से बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाल से निकलने वाली और उ...

पटना: अगले कुछ दिनों में, उत्तरी बिहार के मैदानी इलाकों में बाढ़ की आशंका फिर से बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाल से निकलने वाली और उत्तरी मैदानी इलाकों से बहने वाली प्रमुख और छोटी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश का अनुमान है। मौसम विभाग ने राज्य में अगले तीन दिनों तक ऐसी ही बारिश का अनुमान जताया है। गंगा हुई थोड़ी शांतखैर कहिए कि गंगा का जलस्तर कई जगहों पर खतरे के निशाने से नीचे आ गया है। बक्सर में गंगा खतरे के स्तर से 3.09 मीटर नीचे थी तो दीघा में जलस्तर लाल निशान से 72 सेमी नीचे चला आया है। वहीं गांधी घाट में गंगा खतरे के निशान से सिर्फ 5 सेमी ऊपर है। हथीदह, मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव में भी शनिवार को जलस्तर और नीचे आया है। हथीदह में गंगा खतरे के निशान से 71 सेंटीमीटर ऊपर, भागलपुर में 59 सेंटीमीटर और कहलगांव में 1.32 मीटर ऊपर बह रही है। केंद्रीय जल आयोग की बुलेटिन में कहा गया है कि डाउनस्ट्रीम के सभी इलाकों में गिरावट का रुख जारी रहेगा और रविवार को जलस्तर में और गिरावट आएगी। भागलपुर में हालात अभी नहीं सुधरे हालांकि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और उसके विभिन्न कॉलेजों के परिसर में कमर तक पानी था। जबकि उत्तरी और दक्षिणी भागलपुर जिलों के साथ-साथ कटिहार जिले के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति अभी भी कम नहीं हुई है। वहीं इस सप्ताह की शुरुआत में 1.27 क्यूसेक के निचले स्तर को छूने के बाद शनिवार को कोसी के बीरपुर बैराज से करीब 1.81 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इन नदियों का हाल भी जानिए अन्य नदियों में, बूढ़ी गंडक अधिकांश स्थानों पर खतरे के स्तर से ऊपर बह रही थी और इसके जल स्तर में वृद्धि हुई थी। जबकि बागमती बेनीबाद और हायाघाट को छोड़कर अधिकांश स्थानों पर खतरे के स्तर से नीचे बह रही थी । कमला अभी भी झंझारपुर में खतरे के स्तर से ऊपर बह रही है।
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