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फेस्टिव सीजन में नकली घी बनाने खेल का पर्दाफाश, आप भी रहें अलर्ट, यूं करे घर पर ही असली घी की पहचान

गाजियाबाद गाजियाबाद के शालीमार गार्डन चौकी से महज 300 मीटर दूर किराये के मकान में 5 महीने से नकली देसी घी बनाने का कारोबार चल रहा था, लेक...

गाजियाबाद गाजियाबाद के शालीमार गार्डन चौकी से महज 300 मीटर दूर किराये के मकान में 5 महीने से नकली देसी घी बनाने का कारोबार चल रहा था, लेकिन न तो पुलिस को खबर लगी और न ही खाद्य सुरक्षा विभाग को। एक स्थानीय निवासी की सूचना पर शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा विभाग ने यहां छापा मारा। टीम ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। मौके से पारस जैसी नामी कंपनियों के खाली रैपर भी बरामद हुए हैं, जिनमें नकली घी पैक करके बेचने की तैयारी थी। खाद्य सुरक्षा विभाग के डीओ विनीत कुमार ने बताया कि लगभग 4 क्विंटल नकली घी बरामद हुआ है। मौके से वनस्पति घी, रिफाइंड तेल और रसायन भी मिला है। सारा माल जब्त कर 4 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने छापे के बाद जिन 2 लोगों को पुलिस के हवाले किया है, उनके नाम दीपक अग्रवाल और श्यामसुंदर हैं। जांच के लिए बुलाए कंपनी के प्रतिनिधि विनीत कुमार ने बताया कि जिन कंपनियों के रैपर और अन्य सामान मिला है, उनके प्रतिनिधियों को जांच के लिए बुलाया। देर शाम पारस कंपनी की इंटेलिजेंस टीम साहिबाबाद थाने में आरोपियों से पूछताछ करती रही। नकली घी बनाने का कारोबार कब से चल रहा था, इसमें कितने लोग शामिल थे और कहां-कहां तक कारोबार फैला है, इसकी जांच की जा रही है। यह भी पता किया जा रहा है कि अब तक कितना नकली घी बनाकर बाजार में बेचा जा चुका है। रक्षाबंधन पर बेचने की थी तैयारी सामने आया है कि रक्षाबंधन के मौके पर नकली घी आसपास के बाजारों और कुछ डेरियों में बेचने की तैयारी थी। शालीमार गार्डन-1 में मकान नंबर-814ए में जहां नकली घी बनाने का कारोबार चल रहा था, वह किराए पर लिया गया है। टीम ने आसपास के लोगों से पता किया तो मालूम हुआ कि मकान मालिक की मौत हो चुकी है। यह मकान अब किसके पास है और मकान में चलने वाली गतिविधियों की जानकारी मकान मालिक के पास है या नहीं, यह बड़ा सवाल बन चुका है। शास्त्री नगर में भी मारा गया था छापा मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एनएन झा ने बताया कि पिछले साल दिवाली के समय शास्त्री नगर और घंटाघर से भी 11 क्विंटल नकली घी बरामद किया गया था। उस वक्त भी 2 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। ऐसे में यह भी जांचा जा रहा है कि कहीं पकड़े गए आरोपितों की पिछले साल पकड़े गए लोगों से कोई जान-पहचान तो नहीं है। शहर में नकली देसी घी का कारखाना पकड़े जाने के बाद एक बार फिर लोगों को सेहत की चिंता सताने लगी है। नकली घी को ब्रैंडेड कंपनियों के रैपर के साथ बेचने के मामले आने के बाद जरूरी है कि अतिरिक्त सावधानी बरती जाए। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एनएन झा ने बताया कि घी खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि वह बाजार से कम दाम पर बिक रहा है तो नकली घी है। 450 रुपये किलो से कम दाम में बिकने वाले घी का कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह 100 प्रतिशत नकली होता है। नकली देसी घी से हो सकता है अल्सर डाइटिशन दीप्ति श्रीवास्तव बताती हैं कि लंबे समय तक मिलावटी घी खाने से पेट संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं। जिसे हम आज के समय में लाइफस्टाइल डिजीज में शामिल करते हैं। इसमें किडनी खराब होना, गॉलब्लैडर की समस्या, अल्सर, पेट दर्द, पेट खराब, उल्टी जैसी समस्याएं प्रमुख रूप से शामिल हैं। नकली घी में रिफाइंड तेल और वनस्पति घी का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। यह शरीर में फैट से संबंधित बीमारियों का कारण भी माना जाता है। घर में भी जांच सकते हैं शुद्धता -बाजार से खरीदा हुआ घी शुद्ध है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए इसमें बस दो बूंद आयोडीन टिंचर मिला दें। घी नकली हुआ तो घी का रंग बदलकर नीला हो जाएगा। आयोडीन टिंचर किसी भी मेडिकल शॉप पर आसानी से मिल जाता है। -तकनीकी रूप से घी में मिलावट जानने के लिए उसमें एचसीएल मिलाया जाता है। एचसीएल मिलाने पर रंग लाल हुआ तो मतलब घी मिलावटी है। -आधा चम्मच घी को तर्जनी पर रखकर अंगूठे से मलिए। कुछ देर में ही घी सूख जाए और उसकी सुगंध खत्म हो जाए तो मतलब घी नकली है। -बहुत अधिक दानेदार और पूरी तरह जम जाने वाला घी भी शुद्ध नहीं होता है। उसमें मिलावट होती है।


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