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अफगानिस्तान में भगदड़ से बंगाल के इस गांव के लोगों में क्यों बेचैनी? समझिए पूरी कहानी

कोलकाता अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पश्चिम बंगाल के सोनामुखी इलाके के लोग टेंशन में हैं। काबुल से करीब 3 हजार किलोमीटर दूर इस...

कोलकाता अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पश्चिम बंगाल के सोनामुखी इलाके के लोग टेंशन में हैं। काबुल से करीब 3 हजार किलोमीटर दूर इस गांव में लोग टीवी पर अफगानिस्तान की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। बांकुरा जिले के इस इलाके में बीते 5 दशक से अफगानिस्तान से व्यापार होता है और यहां बनने वाले सिल्क की सप्लाई काबुल समेत तमाम हिस्सों में होती है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ अब इस व्यापार पर भी संकट खड़ा हो गया है। यहां काम करने वाले तमाम लूम कारोबारी अब अपने पास मौजूद सिल्क का स्टॉक शिफ्ट करने में जुटे हैं। काबुल भेजा जाता है सिल्क का सामान सोनामुखी के इस हिस्से से काबुल में सिल्क की पगड़ी और साफा भेजा जाता था। काबुल से व्यापार करने वाले श्यामपाड़ा दत्ता कहते हैं,'मेरा परिवार 3 पीढ़ियों से अफगानिस्तान के साथ बिजनस कर रहा है। हर साल सिल्क की पगड़ी से ही हम करीब 1 करोड़ रुपये का व्यापार करते हैं, लेकिन अब इस पूरे व्यापार पर संकट खड़ा हो गया है। 6 दशक से हो रहा है व्यापार अफगानी व्यापारियों ने सोनामुखी के रिश्ते साल 1960 के दौर के हैं। इन दिनों अफगानिस्तान के लोग यहां पर सिल्क के सामनों की खरीद के लिए आते थे। भारत में मसालों और ड्राई फ्रूट के व्यापार के लिए आने वालों के लिए ये इलाका सिल्क के सामानों के लिए सबसे पसंदीदा था। 1990 तक सोनामुखी के रहने वाले करीब 500 परिवार सिल्क के व्यापार में शामिल थे और ये लोग अफगानिस्तान में अपना सामान बेचा करते थे। इनमें से कई अब भी इस बिजनस में लगे हैं, लेकिन अफगानिस्तान में अचानक पैदा हुए आंतरिक संकट ने इन लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।


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