कोच्चि ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि मैरिटल रेप (पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना) तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधा...
कोच्चि ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि मैरिटल रेप (पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना) तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधार है। हाई कोर्ट ने कहा कि हालांकि भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं किया गया है। लेकिन बावजूद इसके ये तलाक का आधार हो सकता है। हाई कोर्ट ने पति की अर्जी को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। पति की ओर से फैमिली के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी, जिसमें क्रूरता के आधार पर तलाक की अनुमति दी गई थी। अर्जी में फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना मैरिटल रेप है। इस तरह के आचरण को दंडित नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे शारीरिक और मानसिक क्रूरता के दायरे में मना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ये मामला एक महिला के साथ ज्यादती को दिखाता है। पति की क्रूरता से तंग आकर महिला पिछले 12 साल से तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी लगा रही है, लेकिन अबतक उसे तलाक नहीं मिल पाया है। फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में के दौरान यह पाया था कि पति ने अपनी पत्नी के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया है। पत्नी का कहना है कि जब वह बीमार रहती थी और उसकी बेटी के सामने भी उसका पति उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। यहां तक कि जिस दिन महिला की मां का निधन हुआ था उस दिन भी पति ने उसे शारीरिक संबंध के लिए मजबूर किया था। कोर्ट ने माना कि इस तरह के संबंध जिसके लिए पत्नी तैयार ना हो और वह पीड़ा में हो, मैरिटल रेप की श्रेणी में ही आएगा। क्यों अहम है केरल हाई कोर्ट का फैसला? मैरिटल रेप को लेकर भारत में काफी बहस रही है। इस पर कानून बनाने की मांग भी होती रही है। इसी साल जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को तलाक का आधार बनाने की याचिका को खारिज दिया था। ऐसे में केरल हाई कोर्ट का ये फैसला काफी अहम है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था? लड़की अगर नाबालिग है और 15 साल से ज्यादा उम्र की है और किसी की पत्नी है तो उसके साथ उसके पति द्वारा बनाए गए संबंध रेप नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से पहले के नियम के मुताबिक नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध रेप नहीं था। लेकिन 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी, जिसमें नाबालिग पत्नी को प्रोटेक्ट किया और उसकी शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज किए जाने की व्यवस्था दी।
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