Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

UP PCS परीक्षा में धांधली के मामले में CBI का बड़ा ऐक्‍शन, उत्तर प्रदेश के अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज

नई दिल्ली सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(सीबीआई) ने अतिरिक्त निजी सचिव परीक्षा, 2010 में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में उत्तर प्रदेश सर...

नई दिल्ली सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(सीबीआई) ने अतिरिक्त निजी सचिव परीक्षा, 2010 में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव प्रभुनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। यह आरोप 2010 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से कराई गई परीक्षा से संबंधित हैं। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कहा है कि दो साल तक चली प्रारंभिक जांच में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ की ओर से अपराध किए जाने की प्रथम-दृष्ट्या पुष्टि हुई है। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने जांच के दौरान पाया कि प्रभुनाथ ने यूपीपीएससी के अन्य अधिकारियों के साथ अपर निजी सचिव के रूप में चयन के लिए कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। उस साजिश को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कथित तौर पर योग्य उम्मीदवारों के बजाय कुछ अयोग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। आयोग ने बदला भर्ती का पैमाना उम्मीदवारों को निर्धारित क्राइटेरिया के अनुसार सामान्य हिंदी, हिंदी शॉर्ट हैंड टेस्ट और हिंदी टाइप‍िंग परीक्षा पास करनी थी। सीबीआई ने आरोप लगाया कि 15 जून, 2015 को एक बैठक में, आयोग ने अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग करने का फैसला लेते हुए तय किया कि यदि उम्मीदवार हिंदी शॉर्टहैंड परीक्षा में क्वालीफाई करने के न्यूनतम अंक हासिल करने में नाकाम रहे तो तीसरे चरण की परीक्षा यानी कंप्यूटर ज्ञान जांच में क्वालीफाई करने के निर्धारित अंकों में उन्हें छूट दी जाए। अत‍िर‍िक्‍त अंक देने की नहीं थी जरूरत एजेंसी ने कहा कि 1,233 उम्मीदवारों में से 913 ने हिंदी शॉर्ट हैंड की परीक्षा में (पांच प्रतिशत की त्रुटि के साथ) न्यूनतम निर्धारित 125 अंक प्राप्त किये और 331 उम्मीदवारों ने (आठ प्रतिशत की त्रुटि के साथ) 119 से 124 के बीच अंक हासिल किये। सीबीआई ने कहा क‍ि ऐसी परिस्थितियों में, 15 जून, 2015 को आयोग के अप्रूवल के अनुसार, जब अंतिम चयन के लिए पर्याप्त संख्या में उम्मीदवार उपलब्ध थे, तब त्रुटियों में अतिरिक्त तीन प्रतिशत छूट देने की कोई आवश्यकता नहीं थी और उन्हें परीक्षा के तीसरे चरण यानी कंप्यूटर ज्ञान के लिए योग्य नहीं माना जाना चाहिए था। लापरवाही से हुआ मूल्‍याकंन आरोप है कि 15 जून, 2015 को आयोग के नियम और निर्णय के अनुसार, केवल 913 उम्मीदवारों को कंप्यूटर टेस्‍ट के लिए योग्य माना जाना चाहिए था, लेकिन प्रभुनाथ ने आयोग के अन्य अधिकारियों के साथ इसी निर्णय का उल्लंघन किया था ताकि कुछ गैर योग्य उम्मीदवारों को अनुचित पक्ष दिया जा सके और 1,244 उम्मीदवारों को योग्य घोषित कर दिया गया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि विशेषज्ञों और जांचकर्ताओं की ओर से हिंदी शॉर्टहैंड टेस्ट और हिंदी टाइप‍िंग परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन और जांच ठीक से नहीं की गई। एफआईआर में आरोप लगाया गया है क‍ि उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के दौरान पता चला कि विशेषज्ञों के साथ-साथ जांचकर्ताओं ने उत्तर पुस्तिकाओं की लापरवाही से मूल्यांकन और जांच की, जिसके परिणामस्वरूप अंकों में अनावश्यक वृद्धि और कमी हुई। कुछ उम्‍मीदवारों ने जमा कराए थे जाली प्रमाणपत्र सीबीआई का आरोप है कि विशेषज्ञों की ओर से लापरवाही से अंक प्रदान करने और संवीक्षकों की लापरवाही ने अंतिम मेरिट सूची का स्‍वरूप बदल दिया, जिसके चलते कुछ योग्य उम्मीदवारों का उक्त पद के लिए चयन नहीं किया जा सका। इसके बजाय कुछ गैर-योग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया। यूपीपीएससी के जिम्मेदार अधिकारियों ने परीक्षा की उचित निगरानी नहीं की। एजेंसी ने यह भी पाया कि कुछ उम्मीदवारों की ओर से जाली कंप्यूटर प्रमाण पत्र जमा किए गए थे।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3jxHVIm
https://ift.tt/3jtUiFh

No comments