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सुपरटेक संग मिलाकर अफसरों ने कैसे किया 'खेल', 17 साल पुरानी फाइलों में दर्ज हर राज!

नोएडा एमरॉल्ड कोर्ट के मामले में नोएडा अथॉरिटी के सेक्टर-6 स्थित कार्यालय में एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम) की जांच जारी है। मंगलवार क...

नोएडा एमरॉल्ड कोर्ट के मामले में नोएडा अथॉरिटी के सेक्टर-6 स्थित कार्यालय में एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम) की जांच जारी है। मंगलवार को दूसरे दिन एसआईटी के अध्यक्ष व नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन संजीव मित्तल व टीम के तीन अन्य सदस्य राजीव सब्बरवाल, मनोज सिंह व अनूप श्रीवास्तव अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ मीटिंग करने व फाइलों की जांच में व्यस्त रहे। डेडलाइन के हिसाब से गुरुवार शाम 5 बजे तक एसआईटी को अपनी रिपोर्ट तैयार करनी है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट देने के लिए समय बढ़ सकता है। एसआईटी 17 साल पुरानी फाइलों में इस मामले के जिम्मेदारों की भूमिका तलाश रही है। दरअसल 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और 2 सितंबर को सीएम योगी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए एसआईटी को सप्ताह भर में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। 17 साल पुराने रेकॉर्ड के आधार पर एसआईटी इस मसले में दोषियों की जांच रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें किसी भी तरह की जल्दबाजी बाद में कई तरह के सवाल खड़े कर सकती है। ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट के नक्शे अप्रूव करने के लिए अथॉरिटी में बनाई गईं पॉलिसी नियमों की कसौटी पर कितना खरा उतरती है यह एसआईटी की रिपोर्ट से तय होगा। इसी तरह की पॉलिसी को आधार बनाकर दूसरे प्रॉजेक्टों के नक्शे भी पास हुए हैं। एसआईटी की रिपोर्ट जिले के रियल एस्टेट मार्केट पर भी बड़ा असर डाल सकती है। तीन हिस्सों में तैयार होगी रिपोर्टसुपरटेक बिल्डर को 2004 में प्लॉट आवंटित हुआ। इसके बाद 2006 और 2009 में नक्शा संशोधित हुआ। इसके बाद तीसरी बार 2012 में नक्शा संशोधित हुआ। 2012 के बाद मामला हाईकोर्ट में गया। 2014 में हाईकोर्ट ने टावर गिराने का आदेश दे दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से टावर गिराने के आदेश पर बिल्डर को स्टे मिल गया। सुप्रीम कोर्ट में केस चलता रहा। सूत्रों के अनुसार एसआईटी इसमें तीन हिस्सों में रिपोर्ट तैयार कर सकती है। पहली रिपोर्ट 2004 से 2009 के स्टेटस के आधार पर, दूसरी रिपोर्ट 2009 से 2012 के स्टेटस के आधार पर और तीसरी रिपोर्ट 2012 से 3 अगस्त 2021 तक की गतिविधियों और अथॉरिटी के स्टैंड के आधार पर रिपोर्ट तैयार हो सकती है। अथॉरिटी और एसआईटी के सामने चुनौतीसुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा अथॉरिटी ने 8 लोगों के नाम शासन को भेज दिए हैं। अब एसआईटी इन लोगों पर व पिछले 17 साल में इस मसले से जुड़े लोगों को किस आधार पर जिम्मेदार ठहराती है यह रिपोर्ट में साफ होगा। बता दें कि कोर्ट में अथॉरिटी नक्शा पॉलिसी को लेकर मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ रही थी। अब यदि बिल्डर की रिव्यू पिटीशन की अपील सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार हो जाती है तो अथॉरिटी अपने पहले स्टैंड पर कायम रहेगी या इस लड़ाई में बिल्डर का साथ छोड़ देगी यह फैसला लेना भी अथॉरिटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।


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