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किसान महापंचायत से टिकैत ने दिया चुनावी चैलेंज? संजीव बालियान के बयान के मायने समझिए

मुजफ्फरनगर खेती कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर के जीआईसी ग्राउंड में की गई किसान महापंचायत में उमड़ा जनसैलाब आने वाले वक...

मुजफ्फरनगर खेती कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर के जीआईसी ग्राउंड में की गई किसान महापंचायत में उमड़ा जनसैलाब आने वाले वक्त में सियासी गणित में बदलाव लाने का काम कर सकता है। दरअसल, 2013 के मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद वेस्ट यूपी में बिखरा सामाजिक ताना बाना महापंचायत में एकता से सूत्र में बंधा दिखा। इधर, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा है कि अगर किसान मोर्चा राजनीति में आना चाहता है तो बीजेपी उनका स्‍वागत करेगी। मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान ने कहा कि किसानों के आंदोलन ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। हर किसी को राजनीति करने का अधिकार है। अगर संयुक्‍त किसान मोर्चा राजनीति में आना चाहता है तो हम उनका स्‍वागत करेंगे। टिकैत के भाषण में जिक्र करते ही लंबे वक्त बाद एक साथ हर हर महादेव और अल्लाह हु अकबर के नारे सुनाई दिए। 2013 की हिंसा के बाद वेस्ट की जड़े गहरी हो गई थी। लेकिन अब 2022 के विधानसभा चुनाव में महापंचायत के पड़ने वाले असर से सियासी समीकरण बदलने के कयास लगाए जाने लगे हैं। वेस्ट यूपी को किसानों का गढ़ माना जाता है। कैराना पलायन और 2013 में मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद यहां जाट-मुस्लिम का सामाजिक ताना बाना टूट गया था। जाट का झुकाव बीजेपी की तरफ हो गया था। नरेंद्र मोदी ने दो फरवरी 2014 को मेरठ में विजय शंखनाद रैली में पूरे वेस्ट यूपी से भीड़ जुटाई। तब मोदी के भाषण के केंद्र में मुजफ्फरनगर हिंसा रही थी। वेस्ट यूपी में धुव्रीकरण का साफ असर दिखा था, जिससे वेस्ट यूपी की सियासी माहौल बदल गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में खुद अजित सिंह और जयंत हार गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को एक सीट छपरौली मिली थी, वह भी बाद में बीजेपी में चले गए थे। 2019 में भी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था। ऐसी की कुछ हालात एसपी और कांग्रेस का हुआ था। उनकी नुमाइंदगी जरूर हुई थी लेकिन बीजेपी के सामने कहीं टिक नहीं पाए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में जरूर एसपी और बीएसपी के साथ लड़ने के वेस्ट यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर आदि सीटें जीतकर बीजेपी पर भारी साबित हुई थी। का असर इसके बाद किसान आंदोलन शुरू हो गया। इसका असर दिखने लगा। जाट मुस्लिम की एकता दिखी। ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत साहब के जमाने से एक साथ हर हर महादेव और अल्लाह हू-अकबर के नारे यहां लगते थे, अब भी लगते रहेंगे। यह प्रदेश भी हमारा है और ये जिले भी हमारे हैं। राकेश टिकैत ने हर हर महादेव और अल्लाह हु-अकबर के नारे मंच से लगाए। वाहे गुरु जी का खालसा...वाहे गुरु जी की फतेह का भी संबोधित किया। उसके बाद महापंचायत में काफी देर तक हर-हर महादेव और अल्लाह-हू-अकबर के नारे गूंजते रहे। जानकार मान रहे है कि इसका सीधा असर वेस्ट यूपी की सियासत पर पड़ेगा। ये है वेस्ट यूपी का दमखम वेस्ट यूपी में मुस्लिमों और जाटों और किसानों की आबादी वेस्ट यूपी की मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा और अलीगढ़ मंडल के 26 जिलों की 114 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखती है। जब-जब वेस्ट यूपी में हिंदू व मुस्लिमों का गठजोड़ रहा है, तब-तब बीजेपी की राह आसान नहीं रही। फिलहाल किसानों में लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश पनप रहा है। हरियाणा में इसी सप्ताह किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में लोगों में गुस्सा दिखा। 2022 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब लंबा समय नहीं है। यूपी के बाद उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में में भी चुनाव होंगे। ऐसे में महापंचायत का संदेश यूपी समेत दूर के राज्यों तक जाएगा। (शादाब रिजवी के इनपुट के साथ)


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