चंडीगढ़ पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए अब 5 महीने से भी कम का समय बचा है। इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिय...

चंडीगढ़ पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए अब 5 महीने से भी कम का समय बचा है। इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्य के 50 से अधिक पार्टी विधायकों ने अमरिंदर को हटाने की मांग की थी। कैप्टन के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस पार्टी में नए सीएम की तलाश शुरू हो गई है। हालांकि जानकारों का मानना है कि पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ को पंजाब का नया सीएम बनाया जा सकता है। जाखड़ कांग्रेस का हिन्दू चेहरा हैं जो जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ऐसा नहीं है कि पंजाब में कैप्टन से सिर्फ विधायक ही नाराज चल रहे थे, अगर आम लोगों की राय देखेंगे तो पता चलेगा कि वे भी कैप्टन सरकार के कामकाज के कुछ खास खुश नहीं थे। लोकल सर्कल ने पिछले 2 हफ्तों में अमरिंदर सिंह की अगुआई वाली पंजाब सरकार के 4.5 साल के कार्यकाल का विस्तार से अध्ययन किया है। बाकी राज्यों की तरह पंजाब सरकार के लिए भी पिछले 1.5 साल का समय उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। खासकर कोविड महामारी और उसके बाद लॉकडाउन की वजहों से। सरकार ने कुछ साहसिक कदम उठाए। इनमें कुछ की अन्य राजनीतिक दलों ने काफी आलोचना की। देश के अहम कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म लोकल सर्कल के जरिए पंजाब के लोगों ने राज्य सरकार के कामकाज के 12 प्रमुख क्षेत्रों को देखा। पिछले 4.5 वर्षों में अमरिंदर सिंह सरकार के प्रदर्शन का आकलन किया। यह रिपोर्ट बताती है कि पंजाब के लोगों ने पिछले 4.5 वर्षों में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन कैसे किया है। पंजाब के 18 जिलों में 4000 से अधिक खास निवासियों से 15,000 से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें 69% पुरुष और 31 % महिलाएं थीं। केवल 7% ने माना भ्रष्टाचार में कमी आई पंजाब विभिन्न स्तरों पर हो रहे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से अछूता नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष ने राज्य के शीर्ष मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर जोरदार हमला बोला है। जब लोगों से पूछा गया कि क्या पिछले 4.5 वर्षों में राज्य में भ्रष्टाचार कम हुआ है। तो सिर्फ 7% ने कहा कि 'काफी कमी' हुई है। अधिकांश 57% लोगों ने कहा कि इसमें कोई कमी नहीं हुई है। 22% का कहा कि कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ हाल ही में अमृतसर में हथियारों और विस्फोटकों का पता चला। इससे विपक्ष को पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए। वहीं, सर्वे में पंजाब के 11% लोगों ने भी कि पिछले 4.5 वर्षों में कानून-व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। 11% का कहना है कि 'कुछ सुधार' हुआ है। इसी तरह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर बस 9 फीसदी ने माना कि काफी सुधार हुआ, जबकि 36 फीसदी ने कहा कि हालात बदतर हुए हैं। सांप्रदायिक सौहार्द्र के मोर्चे पर 34 फीसदी ने सरकार को अच्छी रेटिंग दी, जबकि 7 फीसदी ने ही कहा कि स्थिति खराब हुई है। पार्टी के विधायकों ने ही अमरिंदर को घेरा पंजाब में बेअदबी की घटनाएं न तो बादल सरकार में बंद हुई और न ही अमरिंदर सरकार में। अमरिंदर द्वारा बरगाड़ी कांड के आरोपियों पर कार्रवाई नहीं करने और बार-बार जांच कमिटियों का गठन करने को लेकर कांग्रेस के कई विधायक-मंत्री लंबे समय से उन्हें घेर रहे हैं। पंजाब में पिछले चुनाव के दौरान खनन का मुद्दा अहम रहा है। अकालियों को इस मुद्दे पर घेरने वाले अमरिंदर भी खनन से मुक्ति नहीं दिला सके। अलबत्ता पिछले साढ़े चार साल के दौरान अमरिंदर गुट के कई विधायकों पर भी अवैध खनन के आरोप लगते रहे हैं। अफसरों से ज्यादा नजदीकी कैप्टन को पड़ी भारी अमरिंदर कई मौकों पर पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव जैसे पदों पर नियुक्तियां करके विवादों में घिरे रहे। अमरिंदर सिंह ने सेवानिवृत्त आईएएस को अपना मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया। विवाद होने पर उन्होंने दो बार इस्तीफा भी दिया, लेकिन अमरिंदर उन्हें फिर से अपने साथ ले आए। सरकारी आवास से भी दूरी बनाकर रखी। आम जनता से मुलाकात तो बहुत दूर की बात है। सिसवां फार्म हाउस में मुलाकात के लिए जाने वाले विधायक और मंत्री भी कई बार मायूस होकर लौटे हैं।
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