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राजस्थान : खेमेबाजी में उलझी बीजेपी का दो दिवसीय चिंतन शिविर, ये दिग्गज होंगे शामिल, क्या महामंथन से बनेगी बात?

जयपुर टकराव और खेमेबाजी में उलझी कुंभलगढ़ में चिंतन बैठक के जरिए एकजुटता का मंत्र देने की कोशिश करेगी। पार्टी की यह दो दिवसीय चिंतन बैठक ...

जयपुर टकराव और खेमेबाजी में उलझी कुंभलगढ़ में चिंतन बैठक के जरिए एकजुटता का मंत्र देने की कोशिश करेगी। पार्टी की यह दो दिवसीय चिंतन बैठक 20 और 21 सितंबर को राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की उपस्थिति में होगी। महाराणा प्रताप का जन्मस्थल कुंभलगढ़ बीजेपी को साल 2023 के विधानसभा चुनाव में जोरदार वापसी में कितना कामयाब करेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। बैठक के जरिए पार्टी में एकजुटता का मंत्र देने की कोशिश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह चिंतन बैठक बेहद अहम होने के साथ-साथ प्रदेश बीजेपी नेताओं की खेमेबाजी खत्म करने की एक कोशिश भी होगी। इस बैठक में बीजेपी के राज्य प्रभारी अरुण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर भी शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह, कैलाश चौधरी और अर्जुन राम मेघवाल के साथ कोर कमेटी के सदस्य और पदाधिकारी भी महामंथन में उपस्थित रहेंगे। इस चिंतन बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से राजस्थान को दिए जाने वाली टास्क और पार्टी के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार होगी। राजस्थान बीजेपी में लगातार सामने आते रहे हैं सियासी घमासानराजस्थान बीजेपी में लगातार सियासी घमासान सामने आता रहा है। मेवाड़ से आने वाले नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की आपसी जंग जगजाहिर हो चुकी है। यह बात अलग है कि पार्टी के राज्य प्रभारी अरुण सिंह के तीखे तेवर के कारण मेघवाल ने अपने कदम पीछे तो खींच लिए थे। हालांकि, पार्टी में आपसी खेमेबाजी समाप्त तो बहुत दूर कम होती भी नजर नहीं आ रही। ऐसे में पार्टी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की मौजूदगी में चिंतन शिविर के माध्यम से पार्टी का महामंथन अहम हो जाता है। कटारिया और मेघवाल में सामने आ चुका है टकरावनेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद हैं वही कभी भैरों सिंह शेखावत के हनुमान रहे कैलाश मेघवाल अभी वसुंधरा राजे के नजदीक माने जाते हैं।सियासी हलके में यह भी चर्चा है कि कैलाश मेघवाल ने कटारिया पर हमला सोची-समझी रणनीति के तहत ही किया था। ऐसा इसलिए क्योंकि अरुण सिंह से मिलने कैलाश मेघवाल के साथ पूर्व मंत्री और वसुंधरा राजे के विश्वस्त कालीचरण सराफ थे। सर्राफ को मेघवाल के साथ भेजकर राजे ने पार्टी को संदेश देने के साथ-साथ अपनी ताकत का इजहार भी करा दिया था। क्या महामंथन से बनेगी बातसाल 2018 के विधानसभा चुनाव और अभी हाल ही संपन्न हुए पंचायत राज चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के मत प्रतिशत में बहुत बड़ा अंतर नहीं है। ऐसे में पार्टी 2023 में प्रदेश में सत्तारूढ़ होने के मंसूबे तो पाले हुए हैं लेकिन पार्टी में सीएम चेहरे को लेकर मचा हुआ घमासान राह के कांटे बने हुए हैं। (प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)


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