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करनाल में सिंघु और टिकरी बॉर्डर जैसा नजारा, अब भी डटे हैं सैकड़ों किसान, इंटरनेट फिर बंद

करनाल करनाल में किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के बीच सवा तीन घंटे चली बातचीत नाकाम हो गई। इस दौरान दो दौर में बातचीत हुई। प्रशासन...

करनालकरनाल में किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के बीच सवा तीन घंटे चली बातचीत नाकाम हो गई। इस दौरान दो दौर में बातचीत हुई। प्रशासन की तरफ से न्यौता मिलने के बाद राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और सुरेश कौथ समेत 15 किसान नेता प्रशासन से बातचीत के लिए पहुंचे थे। इधर जिले में गुरुवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी। प्रशासन ने धरने पर बैठे किसानों को दोपहर 2 बजे बातचीत के लिए बुलाया था। इससे पहले किसानों ने बुधवार को निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर लगाए बैरिकेड हटवा दिए। हजारों किसान बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में सचिवालय का घेराव कर धरने पर बैठे हैं। तीन दिनों से बंद इंटरनेट प्रदेश सरकार की ओर से इंटरनेट सेवा को करनाल में 9 सितंबर के दिन भी बंद रखने का ऐलान किया गया। जबकि बाकी सभी जिलों की इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया है। 7 सितंबर के किसान आंदोलन को देखते हुए करनाल के साथ-साथ कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत व जींद जिले की इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई थी। करनाल में तब से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। की गई बैरिकेडिंग सबसे पहले किसानों ने बुधवार को निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर लगाए बैरिकेड हटवा दिए। किसान बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में सचिवालय का घेराव कर धरने पर बैठ गए। जिला प्रशासन ने बुधवार को जीटी. रोड से सचिवालय जाने वाले रास्ते पर निर्मल कुटिया के पास फिर बैरिकेडिंग कर दी थी। साथ ही जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले मार्ग पर भी अवरोधक लगा दिए थे। बुधवार सुबह से दोनों रास्ते खुले थे। प्रशासन के आदेश पर 11 बजे के बाद यहां बैरिकेडिंग हुई थी। बैरिकेडिंग की सूचना पर किसान मौके पर पहुंचे और पुलिस से नाके खोलने के लिए कहा। इसके बाद दोनों जगह से ट्रक और बैरिकेड को हटा दिया गया। इस दौरान बीकेयू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी बोले कि बातचीत टूट गई है और जब तक मांगें नहीं मानी जाती हमारा पक्का मोर्चा जारी रहेगा। बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली बार्डर से अलग यहां कितने भी समय के लिए अलग मोर्चा लगाने से कोई गुरेज नहीं है। हम लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। फिर चाहे दो दिन, दो महीने और दो साल ही यहां क्यों न बैठना पड़े। कहीं चाय तो कहीं हुक्का पर चर्चा जगह-जगह टोलियों में बैठे किसानों के हाथों में चाय की प्याली थी। कई किसानों ने तो लकड़ियों में आग लगाकर अंगार तैयार करके चिलम भी सुलगा ली। कहीं चाय तो कहीं हुक्का पर चर्चा चल रही थी।एक बड़ा झुंड जय किसान, भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद और सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहा था। पैरामिलिट्री फोर्स के साथ-साथ पुलिस की टुकड़ी गेट पर तैनात है, जो केवल किसानों को अंदर जाने से रोकने के लिए खड़ी है। भंडारा चलाया, गुरुद्वारे से पहुंचा लंगर लघु सचिवालय के बाहर चल रहे धरने के दौरान बुधवार दोपहर के समय का सबने अपना-अपना खाना तैयार किया। पुलिस लाइन मेस से 4000 कर्मचारियों के लिए भोजन बनाकर भिजवाया, प्रशासन ने तहसील परिसर में 2500 के लिए खाना बनवाया। वहीं, किसानों ने बसताडा टोल और पंजाब संगत के सहयोग से 10 हजार किसानों के लिए भोजन तैयार कर भंडारा चलाया। साथ ही करनाल के डेरा कार सेवा गुरुद्वारा से भी पांच हजार लोगों के लिए लंगर पहुंचा। कर्मचारियों को जाने से नहीं रोकेंगे : टिकैत बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, यहां जो भी नेता रहेगा, उसी की अगुवाई में आंदोलन आगे बढ़ेगा। मैं और अन्य दूसरे बड़े नेता भी आते-जाते रहेंगे। टिकैत ने साफ किया कि जहां तक जिला सचिवालय में अधिकारियों या कर्मचारियों के प्रवेश की बात है तो किसान इसे नहीं रोकेंगे। अलबत्ता, प्रशासन इसका ठीकरा हमारे सिर फोड़ना चाहता है तो यह अलग बात है। सरकार एसडीएम को बचाने में : चढ़ूनी बीकेयू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार एसडीएम को बचाना चाहती है। इसलिए किसान भी इम्तिहान देने को तैयार हैं। सुशील काजल को न्याय दिलाए बिना अब कोई पीछे नहीं हटेगा। वहीं किसानों को मनाने में प्रशासन की विफलता ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। बिना जांच के कोई कार्रवाई नहीं बनती : प्रशासन डीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि आंदोलनकारी नेताओं के साथ करीब 3 घंटे बातचीत चली, परंतु बेनजीता रही। बातचीत का क्रम चलता रहेगा। आंदोलनकारी लाठीचार्ज करवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। लेकिन बिना जांच के कोई कार्रवाई नहीं बनती। आंदोलनकारियों ने बैठक में आश्वासन दिया कि वह अपने धरने को शांतिपूर्ण तरीके से चलाएंगे। आखिर करनाल में किसानों ने क्यों खोला मोर्चा? 28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, बीते 28 अगस्त को तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था। किसानों का आरोप है कि सरकार ने बर्खास्त करने के बजाय उन्हें पदोन्नत किया। क्या है आंदोलन कर रहे किसानों की मांग? किसानों की मांग है कि, एसडीएम आयुष सिन्हा बर्खास्त हों और उन पर हत्या का मामला दर्ज हो। मरने वाले किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये, उनके बेटे को सरकारी नौकरी और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इधर प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है कि किसानों को समझा बुझा के वापस भेजा जाए। दूसरी ओर, किसान इस कोशिश में जुटे है कि हरियाणा सरकार पर दबाब बनाकर अपनी मांगो को मनवाया जाए। सचिवालय घेरने से क्या होगी दिक्कत लघु सचिवालय के बाहर किसानों ने डेरा जमाया हुआ है। वहीं सचिवालय के बाहर कई अन्य दफ्तर भी हैं जिनमें काम बाधित होगा। स्थानीय लोगों के मन में आशंका है कि दिल्ली की सीमाओं की तरह ही कहीं सचिवालय रोड पर ही किसानों का जमावड़ा न लग जाए। इन सब के बीच स्थानीय लोग परेशानी झेल रहे है, एक तरफ इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है, तो दूसरी ओर सड़क मार्ग भी बाधित हो रहा है।


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