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इलाहाबाद हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी, कोई भी व्यक्ति खुद की गलती का लाभ नहीं ले सकता

प्रयागराज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई भी स्वयं की गलती का लाभ नहीं ले सकता। बिना कानूनी अधिकार के किसी ने मिलीभगत व फ्राड से नियुक...

प्रयागराजइलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई भी स्वयं की गलती का लाभ नहीं ले सकता। बिना कानूनी अधिकार के किसी ने मिलीभगत व फ्राड से नियुक्ति लेकर वेतन लिया है तो उसे वापस करना चाहिए। अन्यथा यह गलत तरीके से धनवान बनना होगा। कोर्ट ने कहा फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी प्राप्त करने वाला वेतन की वसूली के खिलाफ अनुच्छेद 226 मे साम्या (इक्विटी) न्याय की मांग नहीं कर सकता। ऐसी वसूली कार्यवाही को मनमाना भी नहीं कहा जा सकता। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज की याचिका कोर्ट ने कौशांबी की फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्त सहायक अध्यापिका की नियुक्ति निरस्त कर वेतन वसूली नोटिस पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति आर.एन तिलहरी की खंडपीठ ने मालती देवी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से ली नौकरी मालूम हो कि याची ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्ति प्राप्त की। पता चलने पर नियुक्ति निरस्त कर दी गई। जिसे चुनौती दी गई तो हाई कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी। याची को 10 जुलाई 20 को नोटिस जारी की गई कि गलत तरीके से लिया गया वेतन वापस करे। इस आदेश को भी चुनौती दी गई। याची का कहना था कि आदेश पर रोक लगा है, इसलिए वसूली नहीं की जा सकती। सरकार की तरफ से बताया गया कि उप्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। याचि ने कहा इसलिए न करें वसूली सत्यापन रिपोर्ट पर याची ने भी आपत्ति नहीं की। याची ने कहा कि आगरा विश्वविद्यालय की फर्जी बीएड डिग्री मामले में वसूली पर हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी है। इसलिए उससे भी वसूली न की जाए।


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