पटना बिहार में जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बार फिर सियासत के सेंटर में है। इस मुद्दे पर नीतीश कुमार (सत्ता) और तेजस्वी यादव (विपक्ष) एकजुट...
पटना बिहार में जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बार फिर सियासत के सेंटर में है। इस मुद्दे पर नीतीश कुमार (सत्ता) और तेजस्वी यादव (विपक्ष) एकजुट हैं। को लेकर सीएम नीतीश दस पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ पीएम मोदी से मिले थे। मगर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की रूख से साफ है कि फिलहाल उनका सपना पूरा नहीं होगा। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक फिर से लालू-नीतीश गले मिलेंगे? जातीय जनगणना पर नीतीश को मोदी से झटका जातीय जनगणना की मुहिम चलानेवाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मोदी सरकार से झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने साफ-साफ बता दिया है कि फिलहाल जातीय जनगणना संभव नहीं है। ये एक नीतिगत फैसला है। इसके बार में कोई निर्देश नहीं दिया जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अब नीतीश कुमार क्या करेंगे? चूंकि जातीय जनगणना के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। 10 पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम मोदी से मिलने के लिए दिल्ली तक पहुंचे थे। नरेंद्र मोदी से जातिगत जनगणना की खूबियां गिनाई थी। मगर एक ही झटके में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जरिए मैसेज दे दिया कि जातीय जनगणना नहीं होगी। नीतीश, मांझी और सहनी अब क्या करेंगे? नरेंद्र मोदी के नाम से ही बिदक जानेवाले नीतीश कुमार अब तारीफों की पुल बांधते हैं। उनका जन्मदिन मनाते हैं। उनके साथ बैठकें करते हैं। बातें करते हैं। मगर एक बार फिर नीतीश कुमार की सलाह को नरेंद्र मोदी ने मानने से इनकार कर दिया है। 23 अगस्त 2021 को बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के साथ सीएम नीतीश ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। उनके साथ जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी भी थे। इन दोनों की पार्टियां बिहार की सत्ता में साझीदार है। इनकी भी डिमांड जातीय जनगणना की है। मगर एक ही झटके में नरेंद्र मोदी ने इनके सपने को चकनाचूर कर दिया। ...तो क्या फिर से लालू-नीतीश आएंगे करीब? 17 साल से बीजेपी के साथ रहे नीतीश कुमार ने 17 जून 2013 को नरेंद्र के नाम पर ही गठबंधन तोड़ा था। तब बिहार के मुख्यमंत्री थे नीतीश कुमार। उन्होंने अपने पुराने विरोधी लालू यादव से हाथ मिला लिया और मुख्यमंत्री की कुर्सी बचा लिए थे। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव को लालू यादव और नीतीश कुमार ने मिलकर लड़ा। दोनों पार्टियों को कामयाबी मिली। 15 साल बाद लालू यादव की पार्टी सत्ता में वापस आ गई। आरजेडी एक बार फिर से खड़ा हो गई। मगर 2017 में नीतीश कुमार की लालू परिवार से खटपट हो गई और वो फिर से बीजेपी के शरण में चले गए। 2013 में जेडीयू बिहार की सबसे बड़ी पार्टी थी। मगर फिलहाल वो संख्या बल के लिहाज से तीसरे नंबर पर है। हालांकि नीतीश कुमार अगर लालू यादव से हाथ मिला लें तो आज भी उनकी कुर्सी बरकरार रह सकती है। मगर इस तरह की संभावनाओं को लेकर पहले भी तेजस्वी इनकार कर चुके हैं। मगर राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। कम से कम पुराने अनुभव तो यही बता रहे हैं।
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