जींद हरियाणा के जींद जिले के छातर गांव के 150 दलित परिवारों का कहना है कि वे 15 दिनों से सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं। इनका कहना है कि का...
जींद हरियाणा के जींद जिले के छातर गांव के 150 दलित परिवारों का कहना है कि वे 15 दिनों से सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं। इनका कहना है कि कारण इतना सा है कि एक दलित युवक ने उसे पीटने वाले दबंगों के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी थी। आरोप है कि दबाव बनाने के लिए दबंगों ने पंचायत की। उसमें ऐलान किया था कि जब तक बिना शर्त शिकायत वापस नहीं ली जाती तब तक बहिष्कार जारी रहेगा। मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भेजी है। वहीं, थाना उचाना के एएसआई दिलबाग सिंह के अनुसार गांव छातर के मामले में एफआईआर दर्ज कर दी है। अभी मामले की जांच जारी है। जल्द ही पुलिस कार्रवाई करेगी। मांगु बागड मोहल्ले के 70 साल के बुजुर्ग लहरी सिंह ने बताया कि 10 सितंबर को गुरमीत खेल मेले में कबड्डी मैच देखने गया था। वहां उसके साथ गांव के राजेश पुत्र बिल्लू और उसके कई साथियों ने मारपीट की। गुरमीत ने मारपीट की शिकायत पुलिस को दे दी। गुरमीत के घर आने पर आरोपी युवकों के परिजन गांव के कुछ लोगों के साथ मुहल्ले में आए और धमकाने लगे। उन्होंने गुरमीत पर दबाव बनाया कि वह केस वापस ले ले। लहरी सिंह ने बताया कि ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई कि गुरमीत ने मामला दर्ज कर अपराध कर दिया है। लगातार दबाव बनाने पर गुरमीत ने केस वापस लेने से मना कर दिया। गुरमीत के इनकार के बाद 26 तारीख को गांव की सामूहिक पंचायत हुई। इस पंचायत में गुरमीत के पूरे मोहल्ले मांगु बागड़ का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया। उस दिन के बाद उन्हें खेतों में भी नहीं जाने दिया जा रहा। प्रवीण कुमार (32) ने बताया कि गुरमीत की शिकायत पर पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज कर आरोपी युवक राजेश को हिरासत में ले लिया। इससे गांव छातर के ऊंची जाति के लोग नाराज हो गए। इनका कहना है कि केस वापस नहीं लिया तो मोहल्ले का सामाजिक बहिष्कार जारी रहेगा। मुहल्ले के 40 साल के रोहताश कुमार ने बताया कि पहले भी उनके मोहल्ले के लोगों के साथ मारपीट होती रही है। वह इसे नियति मान कर चुप रह जाते थे, क्योंकि उनकी गुजर बजर बहुत हद तक गांव के ऊंची जाति के लोगों पर निर्भर है। दुकानदार सामान नहीं दे रहे, डॉक्टर दवा नहीं छातर गांव के मोहल्ला मांगु बागड के लोगों को भी गांव में दूसरी जगहों की ओर निकलने पर रोक है। वहीं, बहिष्कृत मोहल्ले की ओर किसी के भी जाने पर उसका भी सामाजिक रूप से हुक्का पानी बंद करने की चेतावनी दी गई है। इस कारण किसान खेत में नहीं जा पा रहे हैं और दुकानदार किराने का सामान और सब्जी भी नहीं दे रहे हैं। डेरी में दूध नहीं दिया जा रहा है। यदि कोई गांव से बाहर जाने का प्रयास करता है तो उन्हें सवारी नहीं मिल रही है। लहरी सिंह समेत अन्य ग्रामीणों का आरोप है कि पैसे देने के बाद भी दुकानदार उन्हें सामान नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि बीमार को भी डॉक्टर दवा नहीं दे रहे हैं। मकान बनाने के लिए सामान नही मिल पा रहा है। सीएम को भेजी है लिखित शिकायत इस मामले में क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गांव खापड़ के दिनेश ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लिखित शिकायत भेजी है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई की जाए जिससे दलित परिवारों को न्याय मिले। उन्होंने बताया कि गांव खापड़ में भी ऐसा ही एक मामला आ चुका है, जहां दलितों को दबाया जा रहा है।
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