साक्षी रावत, गुड़गांव पिछले कुछ साल से एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को देखते हुए दिवाली से 4-5 दिन पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी जाती है। इस...
साक्षी रावत, गुड़गांव पिछले कुछ साल से एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को देखते हुए दिवाली से 4-5 दिन पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी जाती है। इसी वजह से लोग अभी से पटाखे खरीदने लगे हैं। सोमवार को भी गाडोली स्थित पटाखों की दुकानों में लोगों का आना-जाना लगा रहा। हांलाकि पटाखा व्यापारी इस बात से निराश हैं कि हर साल बैन के चलते उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ता है। वहीं, इस बार भी पटाखों की बिक्री कम ही है। दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह बैन के चलते वहां से भी लोग कम खरीदारी करने आ रहे हैं। उधर, डीसी का कहना है कि अभी तक पटाखों पर बैन के बारे में कोई आदेश नहीं आया है। 9 के पास है पटाखा बेचने का लाइसेंस गुड़गांव में 9 दुकानों के पास पटाखा बेचने का लाइसेंस है, जिनमें से 3 दुकानें कादीपुर इंडस्ट्रियल एरिया, 4 गाडौली में, एक धनवापुर और एक चंदू-बुडेरा में हैं। इसके अलावा, प्रशासन की ओर से किसी अन्य को परमिशन नहीं दी गई है। उम्मीद है इस साल बैन न लगे: दुकानदार स्टार नाइट फायर वर्क के मालिक अशोक कुमार गाडौली ने बताया कि इस बार 20% ही नया माल मंगवाया है, 80% माल पुराना ही है। क्योंकि पिछले साल लगे प्रतिबंध की वजह से माल बिक नहीं पाया था। अभी सीमित लोग ही खरीदारी के लिए आ रहे हैं। इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा में बैन नहीं लगेगा, लेकिन दिल्ली में लगे प्रतिबंध की वजह से लोग खरीदारी के लिए कम पहुंच रहे हैं। गणपति फायर वर्क के संचालक राजन राजपाल ने बताया कि पिछले साल कोरोना की वजह से लोग कम ही पहुंचे, लेकिन इस बार व्यापार की उम्मीद है। केवल दुकानों में ही नहीं बल्कि खाट लगाकर भी पटाखे बिक रहे हैं। सदर बाजार स्थित कुछ गलियों में रात के समय यह पटाखे बेचे जा रहे हैं। 'लग जाता है प्रतिबंध, इसलिए अभी से खरीद रहे' सेक्टर-17 निवासी मनोज शर्मा ने बताया कि पिछले 2 साल में दिवाली से दो-चार दिन पहले पटाखों पर प्रतिबंध लग जाता है। इसलिए अभी से पटाखे खरीदकर रख रहा हूं, क्योंकि प्रतिबंध तो लगता है, लेकिन पटाखे सभी जगह जलते हैं। सोहना से पटाखे खरीदने आए तेजस ने बताया कि केवल पटाखे जलाने से ही पलूशन नहीं फैलता। इसके कई और भी कारण होते हैं, लेकिन हर बार पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। बाजारों में केवल ग्रीन पटाखे: दुकानों में अब केवल ग्रीन पटाखे ही हैं। ग्रीन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, एल्युमिनियम और राख का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इन पटाखों में सल्फरडाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन भी 35 से 40 प्रतिशत तक कम होता है। ऐसे में इन पटाखों की कीमत भी अन्य पटाखों के मुकाबले अधिक है। दामों में भी हुई बढ़ोतरी कोरोना के बाद से हर सामान के दाम में इजाफा हुआ है। इसका असर पटाखों पर भी है। आमतौर पर फुलझड़ी के एक पैकेट का दाम 150 से 200 रुपये का होता है, लेकिन ग्रीन पटाखों वाली फुलझड़ी का एक पैकेट 250 से 300 रुपये तक में मिल रहा है। अनार के बॉक्स का दाम 400 से बढ़कर 650 से 800 तक पहुंच गया है। चकरी 200 की जगह 350 रुपये तक में बिक रही है।
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