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पहले भी ठगे गए हैं लगती है सबसे अधिक बोली, साइबर फ्रॉड की दुनिया में यूं बिकता आपका डेटा

गाजियाबाद इंश्योरेंस कंपनी और बैंकों के लिए काम करने वाली थर्ड पार्टी के कर्मचारी बोली लगाकर ग्राहकों के डेटा को बेचते हैं। एक बार ठगे गए...

गाजियाबाद इंश्योरेंस कंपनी और बैंकों के लिए काम करने वाली थर्ड पार्टी के कर्मचारी बोली लगाकर ग्राहकों के डेटा को बेचते हैं। एक बार ठगे गए व्यक्ति का डेटा सबसे महंगा बिकता है। ये सभी चौंकाने वाली जानकारी गाजियाबाद में साइबर सेल को हाल ही में गिरफ्तार हुए तीन ठगों ने दी है। लैप्स पॉलिसी के नाम पर ठगी करने के आरोप में पुलिस ने पिछले दिनों इन्हें गिरफ्तार किया था। ठग खुद जॉब करते हुए लोगों के साथ ठगी कर रहे थे। उन्होंने 4 साल में 1 हजार से अधिक लोगों से ठगी की थी। साइबर सेल से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों के पास से मिले डेटा चेक करने पर पता चला है कि उन्होंने कई अन्य गैंग के साथ भी डेटा शेयर किया है। साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि कई अन्य गैंग के बारे में जानकारी कर रही है। जल्द ही अन्य गिरफ्तारी भी होंगी। बड़ी पॉलिसी वालों का डेटा ज्यादा, तो छोटी का कम दाम जानकारी के अनुसार, कंपनी से डेटा को शीट में लिया जाता है। एक शीट में 35 से 40 लोगों की डिटेल होती है। पूछताछ में सामने आया है कि ठगी करने वाले गैंग इस प्रकार के लोगों के संपर्क में रहते हैं। वह 7 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से डेटा लेते हैं। छोटी पॉलिसी वाले लोगों का डेटा 5 रुपये में लिया जाता है। एक बार में कम से कम 5 हजार लोगों का डेटा लिया जाता है। इसमें भी बोली गलती है। कई बार रेट 10 रुपये प्रति व्यक्ति तक पहुंच जाता है। गिरफ्तार आरोपितों ने बताया कि ठगी करने वाले बड़े गैंग एक दिन में 10 तक कॉल कर देते हैं। एक ठगे व्यक्ति की डिटेल 2 हजार रुपये में पूछताछ में सामने आया है कि फ्रेश डेटा से ज्यादा ऐसे लोग जो हाल में ठगे गए हैं और उन्होंने शिकायतें की है। ऐसे लोगों की डिटेल सबसे महंगी बिकती है। ऐसे लोगों से बाद में विभिन्न शिकायत सुनने वाली एजेंसियों के नाम पर ठगी की जाती है। ऐसे में यह डेटा 1 हजार रुपये से 2 हजार रुपये तक बढ़ जाता है। ऐसे में गैंग ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार रखता था जिनके साथ फ्रॉड किया जा चुका है। बाद में उन्हें दूसरे गैंग को दिया जाता है।


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