रायपुर छत्तीसगढ़ () में 28 अक्टूबर को होने वाले राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव को लेकर तैयारी तेज हो गई है। इस महोत्सव में विदेशी लोक कल...

रायपुर छत्तीसगढ़ () में 28 अक्टूबर को होने वाले राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव को लेकर तैयारी तेज हो गई है। इस महोत्सव में विदेशी लोक कलाकार भी सम्मिलित होंगे। इनका रायपुर आना शुरू हो गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की सरकार की तरफ से दूसरे राज्यों के सीएम और मंत्रियों को भी इसमें शामिल होने के लिए न्यौता दिया गया है। छत्तीसगढ़ में इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है। छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित इस तीन दिवसीय उत्सव में उज्बेकिस्तान, नाइजीरिया, श्रीलंका, युगांडा, सीरिया, माली, फिलिस्तीन और किंगडम ऑफ एस्वातिनी सहित कई देशों के कलाकार शामिल होंगे। वहीं, छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बस्तर, दंतेवाड़ा, कोरिया, कोरबा, बिलासपुर, गरियाबंद, मैनपुर, धुरा, धमतरी, सरगुजा और जशपुर के कलाकारा भी इस कार्यक्रम में अपना विशिष्ट इतिहास, संस्कृति और परंपराएं पेश करेंगे। सीएम भूपेश बघेल ने एक बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ भारत की कई स्वदेशी जनजातियों का घर है, जो राज्य की जीवंत संस्कृति में योगदान करते हैं, जिस पर हमें बहुत गर्व है। राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव आदिवासी संस्कृति की विशिष्टता को बढ़ावा देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के जरिए छत्तीसगढ़ के आदिवासी जीवन की समृद्दि और विविधता का दूसरे लोगों के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। 2019 में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव के पहले संस्करण में भारत के 25 राज्यों और छह अतिथि देशों के आदिवासी समुदायों की भागीदारी और एक लाख लोगों की उपस्थिति देखी गई थी। इस साल के महोत्सव में 27 राज्यों में से छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और जम्मू-कश्मीर की जनजातियों के विशेष नृत्य शामिल होंगे। नृत्य प्रदर्शन दो श्रेणियों में रखा गया है। इस कार्यक्र में आदिवासी कला और उनकी संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही उनकी आर्थिक विकास पर भी चर्चा होगी। छत्तीसगढ़ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि आदिवासी विरासत को संरक्षित रखा जाएगा। प्रदेश के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव एक अनूठा उत्सव है, जो न केवल विभिन्न आदिवासी नृत्य रूपों का प्रदर्शन करेगा बल्कि हमारी आदिवासी परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। यह कार्यक्रम में 28 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
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