पटना सवर्ण वर्चस्व को सीधे-सीधे चुनौती देने वाले पिछड़ा वर्ग के कद्दावर नेता रहे जगदेव प्रसाद (Jagdev Prasad) के बेटे और पूर्व केंद्रीय म...

पटना सवर्ण वर्चस्व को सीधे-सीधे चुनौती देने वाले पिछड़ा वर्ग के कद्दावर नेता रहे जगदेव प्रसाद (Jagdev Prasad) के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने फिर नई पार्टी बनाई है। नागमणि ने नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज दल रखा है। पार्टी बदलने के लिए मशहूर नागमणि ने नई पार्टी के निर्माण के साथ ही बिहार और झारखंड में सरकार बनाने की उम्मीदें भी पाल ली है। इसके लिए उन्होंने पार्टी का एजेंडा भी तय कर दिया है। राष्ट्रीय शोषित समाज दल निर्माण की घोषणा करते हुए नागमणि ने समर्थकों के बीच कहा कि उनका एजेंडा है कि वह बिहार में कोइरी और बनाएंगे। इतना ही नहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की तरह समाज के अलग-अलग वर्ग से पांच उपमुख्यमंत्री बनाना भी अपनी पार्टी के एजेंडे में शामिल किया है। नागमणि ने कहा कि उन्होंने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली के लोगों की मांग पर इस पार्टी का गठन किया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो तो पांच उपमुख्यमंत्री बनाएंगे, जिसमें मुसलमान, दलित, अति पिछड़ा, सवर्ण और यादव जाति के लोग होंगे। पार्टी बनाने के लिए बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता, राष्ट्रीय मोमिन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हुमाऊं अंसारी ने की। राष्ट्रीय शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागमणि खुद होंगे। इश्तयाक अहमद बिहार, मुमताज अली झारखंड व राकेश मौर्या उत्तरप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बने। मनोरंजन कुशवाहा बिहार के प्रधान महासचिव हुए। इस मौके पर नागमणि ने नीतीश सरकार पर सीधे हमले किए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के राज में बिहार का मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग और भी कमजोर हुआ है। इस सरकार ने केवल इन लोगों से वोट लेकर शासन पाने का काम किया है। नीतीश सरकार में समाज के शोषित वर्ग और अधिका शोषण किया गया है, इसलिए बिहार की जनता को इन्हें हटाकर नई पार्टी में विकल्प तलाशना चाहिए। यहां बता दें कि नागमणि कुशवाहा समाज से आते हैं और इस वक्त राज्य में इस समाज के सबसे चर्चित चेहरा जेडीयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा हैं। हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जेडीयू में किया है। नागमणि भी कुशवाहा की पार्टी में रह चुके हैं। बिहार में कुशवाहा समाज की आबादी करीब छह फीसदी मानी जाती है।
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