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Raigaon Upchunav Equation : रैगांव में किसका है पलड़ा भारी, बीजेपी ने नए उम्मीदवार पर लगाया है दांव

सतना जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र (Raigaon Vidhansabha Upchunav Equations) में होने जा रहे उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर ह...

सतना जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र (Raigaon Vidhansabha Upchunav Equations) में होने जा रहे उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर है। कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अभी तक की बात करें तो आचार संहिता लगने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दशहरा का त्यौहार सतना जिले में ही मनाया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से अभी तक पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने कई सभाएं की हैं। दरअसल, 1977 से रैगांव विधानसभा अपने अस्तित्व में आई। पहला चुनाव 1977 में विशेश्वर प्रसाद जनता पार्टी से जीते थे। इसके बाद लगातार दो बार कांग्रेस प्रत्याशी रामाश्रय प्रसाद ने जीत हासिल की। 1990 में जनता दल के उम्मीदवार धीरज सिंह धीरू ने चुनाव जीता था लेकिन रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन 1993 देखने को मिला, जब पिछले 3 वर्ष से चुनाव हार रहे जुगल किशोर बागरी बीजेपी की ओर से विधायक चुने गए। उसके बाद 1998 से 2003, 2008 तक चुनाव जीतते रहे लेकिन 2013 में जुगल किशोर बागरी की जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दे दिया गया। बसपा के उषा चौधरी से पुष्पराज बागरी चुनाव हार गए। यह सीट बसपा के कब्जे में चली गई। 2018 एक बार फिर से जुगल किशोर बागरी पर जनता ने विश्वास जताया। फिर से यह सीट बीजेपी के कब्जे में आ गई। 2021 में कोविड की चपेट में आकर विधायक जुगल किशोर बागरी का दुखद निधन हो गया और यह सीट रिक्त हो गई। जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद यहां उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। बीजेपी समर्थकों को पूरी उम्मीद थी कि यहां जुगल किशोर बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट मिलेगा। पार्टी ने बागरी परिवार से इतर एक नए चेहरे को टिकट दिया है। बीजेपी ने इस बार यहां से प्रतिमा बागरी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने फिर से पुराने चेहरे पर ही भरोसा जताया है। 2018 में चुनाव लड़ीं कल्पना वर्मा को फिर से टिकट दिया है। बीएसपी ने इस बार चुनावी मैदान में उम्मीदवार नहीं उतारा है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है। बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि इस चुनाव में स्थानीय के साथ-साथ महंगाई का मुद्दा भी हावी है।


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