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1947, जंगल, बंदर...और अब प्लेन से कानपुर में एंट्री...खतरनाक जीका वायरस की पूरी कहानी पढ़िए

कानपुर यूपी में जीका वायरस की एंट्री कैसे हुई? क्या यह किसी बाहरी राज्य से प्लेन के जरिए यूपी में दाखिल हुआ या बाहरी राज्य से किसी संक्रम...

कानपुर यूपी में जीका वायरस की एंट्री कैसे हुई? क्या यह किसी बाहरी राज्य से प्लेन के जरिए यूपी में दाखिल हुआ या बाहरी राज्य से किसी संक्रमित के आने और उसे काटने वाले मच्छरों के जरिए फैला है? नवभारत टाइम्स पहले ही अपनी रिपोर्ट में इस बात की आशंका जता चुका है कि एयर फोर्स के प्लेन के जरिए या तो जीका से संक्रमित मच्छर या कोई संक्रमित एयर फोर्सकर्मी की वजह से कानपुर में जीका ने दस्तक दी है। अब यह आशंका सही साबित होती दिख रही है। 16 अक्टूबर को पहला केस, एयर फोर्स अफसर संक्रमित 16 अक्टूबर को कानपुर में एयर फोर्स के एक अफसर बुखार की शिकायत के बाद कैंट इलाके में एयर फोर्स हॉस्पिटल में खुद को दिखाने गए। 55 साल के उस अधिकारी को बुखार के साथ-साथ शरीर पर चकत्ते, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की भी शिकायत थी। डॉक्टरों को यह मामला मौसमी वायरल बुखार का लगा और उन्होंने अफसर को भर्ती कर लिया। एक हफ्ते तक इलाज के बावजूद मरीज की हालत में जब सुधार नहीं दिखा तब डॉक्टरों ने उनके ब्लड सैंपल को जांच के लिए पीजीआई लखनऊ भेजा। 23 अक्टूबर को जब जांच रिपोर्ट आई तो अस्पताल ही नहीं, सूबे के स्वास्थ्य महकमे में भी हड़कंप मच गया। एयर फोर्स अफसर जीका वायरस से संक्रमित पाए गए। यह यूपी में जीका संक्रमण का पहला कन्फर्म केस था। कानपुर में अब 106 संक्रमित, गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक जीका वायरस भी मच्छरों के जरिए फैलता है। यह मुख्य रूप से एक संक्रमित मच्छर (एडीज इजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस) के काटने से लोगों में फैलता है। इन्हीं मच्छरों से डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर भी फैलता है और ये मच्छर दिन में काटते हैं। एयर फोर्स अफसर में जीका वायरस की पुष्टि के दो हफ्तों के भीतर ही देखते-देखते कानपुर में इस खतरनाक वायरस से संक्रमण के 106 मामले सामने आ गए। सभी मामले चकेरी (जहां एयर फोर्स बेस है) के आस-पास के एरिया में मिले। बाद में पास के कन्नौज जिले में भी जीका का एक केस मिला। कुल 107 संक्रमितों में एयर फोर्स के 11 कर्मचारी, 4 से 12 साल की उम्र के 18 बच्चे भी शामिल हैं। कुछ हेल्थकेयर वर्कर भी संक्रमित हुए हैं। अकेले मंगलवार को कानपुर में कोरोना संक्रमण के 16 मामले सामने आए जिनमें 2 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए जीका वायरस बहुत खतरनाक है। 2015 में ब्राजील में हजारों बच्चे छोटे सिर और अविकसित मस्तिष्क के साथ जन्म लिया था। कब कहां से पैदा हुआ जीका वायरस जीका संक्रमण का पहला मामला 1947 में अफ्रीकी देश यूगांडा के जीका जंगल में एक बंदर के भीतर पाया गया था। इसी वजह से इसे जीका नाम मिला। बाद में यह इंसानों में फैला और दुनिया के अन्य हिस्सों तक पहुंचा। भारत में कब पहली बार आया जीका माना जाता है कि भारत में जीका वायरस 1970 के दशक में आया था। लेकिन कुछ स्टडी बताती हैं कि 1954 में इस खतरनाक वायरस ने भारत में एंट्री कर ली थी। अच्छी बात यह रही कि 2016 से पहले तक भारत में इसका संक्रमण बड़े पैमाने पर नहीं फैला। 2016 और 2017 में गुजरात और तमिलनाडु में इसके मामले सामने आए। 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी जीका संक्रमण के 200 से ज्यादा मामले सामने आए। भारत में जीका वायरस का हालिया दौर कब शुरू हुआ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इस साल सबसे पहले केरल में जीका संक्रमण का मामला आया। 8 जुलाई 2021 को त्रिवेंद्रम की एक 24 साल की गर्भवती महिला में जीका संक्रमण की पुष्टि हुई। एक दिन पहले ही उसने एक प्राइवेट अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था। बाद में जब महिला के सीधे संपर्क में आए उस हॉस्पिटल के 19 स्टाफ के नमूनों की जांच की गई तो उनमें से 13 जीका संक्रमित मिले। 8 जुलाई से 26 जुलाई 2021 तक केरल में जीका संक्रमण के 70 नए मामले सामने आए। इनमें से 68 मामले अकेले त्रिवेंद्रम जिले में मिले। 31 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के बेलसर गांव में एक 50 साल की महिला में जीका संक्रमण की पुष्टि हुई। जीका के लक्षण विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जीका संक्रमित 60-80 प्रतिशत मरीज या तो लक्षणविहीन होते हैं या मामूली लक्षण जैसे हल्का बुखार, चकत्ते और मांसपेशियों में दर्द से पीड़ित होते हैं। - कुछ दुर्लभ केसों में यह वायरस दिमाग या स्नायु तंत्र (न्यूरो) को नुकसान पहुंचा सकता है। - कुछ मामलों में गुलियन बैरी सिंड्रोम भी हो सकता है। - यह दुर्लभ सिंड्रोम भी तंत्रिका तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। - जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं को गर्भपात का खतरा हो सकता है। - नवजात शिशु को जन्मजात मस्तिष्क विकार माइक्रोसिफली हो सकता है। ऐसे करें बचाव - अपने घर, दफ्तर या कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें। - संक्रमित मच्छर दिन या शाम के शुरुआती घंटों में काट सकता है। - सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल जरूर करें। - जीका संक्रमित स्त्री-पुरुष सेक्स करने से बचें।


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