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नीति आयोग की नई रिपोर्ट में आर्थिक से लेकर नागरिक सुविधाओं तक में पटना फिसड्डी, 56 शहरों की लिस्ट में मिली 52वीं रैंक

पटना मुख्यमंत्री (Bihar CM ) मंच से आए दिन एक से बढ़कर एक दावे करते हैं कि उनके शासनकाल में बिहार का कोना-कोना विकास की नई इबारत लिख रहा ...

पटना मुख्यमंत्री (Bihar CM ) मंच से आए दिन एक से बढ़कर एक दावे करते हैं कि उनके शासनकाल में बिहार का कोना-कोना विकास की नई इबारत लिख रहा है। लेकिन नीति आयोग (Niti Aayog) के 'सतत विकास लक्ष्य शहरी भारत सूचकांक 2021-22' में पटना के हालात ने सारे दावों की हवा निकालकर रख दी है। देश के 56 शहरों की लिस्ट में पटना को 52वां स्थान मिला है। नीति आयोग की इस रिपोर्ट में आर्थिक से लेकर नागरिक सुविधाओं तक में पटना फिसड्डी साबित हुआ है। एसडीजी अर्बन इंडेक्स में पटना की रैंकिंग जानिए में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर नीति आयोग ने 56 शहरों का मूल्यांकन किया है। शहरी क्षेत्र की लिस्ट में पटना को 100 में महज 57.29 अंक मिले हैं। पहली बार शहरी क्षेत्रों के लिए रैंकिंग घोषित की है। एसडीजी डैशबोर्ड में पटना को परफॉर्मर कैटेगरी में रखा गया है। देश के 56 शहरों को चार श्रेणियों एस्पिरेंट (0-49), परफॉर्मर (50-64), फ्रंटरनर (65-99) और अचीवर (100) में बांटा गया है। नीति आयोग की नई रिपोर्ट में टॉप 10 में ये शहरनीति आयोग ने ‘इंडो-जर्मन डेवलपमेंट कोऑरपरेशन’ के तहत जीआईजेड (GIZ) और बीएमजेड (BMZ) के साथ मिलकर एसडीजी शहरी सूचकांक और ताजा जानकारी के लिए ‘डैशबोर्ड’ तैयार किया है। एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड 2021-22 में शीर्ष 10 शहरी क्षेत्र शिमला, कोयंबटूर, चंडीगढ़, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, पणजी, पुणे, तिरुचिरापल्ली, अहमदाबाद और नागपुर हैं। पटना की रैंकिंग को लेकर बिहार में गरमाई सियासतनिचले स्थान पर 10 शहरी क्षेत्र धनबाद, मेरठ, गुवाहाटी, पटना, जोधपुर, कोहिमा, आगरा, कोलकाता और फरीदाबाद हैं। सूचकांक में 56 शहरी इलाकों की रैंकिंग की गई है। इसमें से 44 शहरों की आबादी 10 लाख से अधिक है। वहीं 12 राज्यों की राजधानियां हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से कम है। सीएम नीतीश ने बोलने से किया इनकारनीति आयोग की नई रिपोर्ट में बिहार को फिसड्डी बताए जाने पर सूबे की सियासत गरमा गई है। सीएम नीतीश कुमार से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने बस इतना ही कहा हमने अभी रिपोर्ट देखा नहीं है। मंत्री बोले- नीति आयोग के विकास मापने का पैमाना ही अव्यवहारिक बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के विकास मापने का पैमाना ही अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील राज्य को एक ही पैमाने पर देखना गलत है। ये अपने संसाधन से विकास कर रहे राज्यों को हतोत्साहित करने जैसा है। नीति आयोग को एक संतुलित पैमाना बनाना चाहिए। हम लोग इस संबंध में अपना पक्ष रखेंगे। डिप्टी सीएम रेणु देवी ने क्या कहाबिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा कि राज्य विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी मीलों आगे जाना है। उन्होंने कहा, 'बिहार लगभग हर साल बाढ़ और सूखे का सामना करता है। प्रदेश सरकार इस पर काम कर रही है। जहां तक आर्थिक विकास का सवाल है, राज्य में कई छोटे और मध्यम उद्योग स्थापित किए गए हैं, जिससे बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन में बढ़ोतरी होगी। जल्द ही और नए उद्योग आएंगे, जिससे गरीबी और रोजगार के मुद्दे हल हो सकेंगे।' शाहनवाज हुसैन बोले- सरकार बुनियादी ढांचे में सुधार की कोशिश कर रही नीतीश सरकार में उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (SIPB) को इथेनॉल, कपड़ा और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए कई बड़े प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन इन उद्योगों को स्थापित करने में समय लग सकता है। शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'अगर हम पटना की बात करें तो शहरी क्षेत्र में उद्योग स्थापित करना संभव नहीं है। हमें राज्य की राजधानी के बाहरी इलाके में ही जमीन मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, राज्य सरकार बुनियादी ढांचे में सुधार करने की कोशिश कर रही है और पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र, फतुहा और बिहटा में मौजूदा औद्योगिक इकाइयां इसका उदाहरण हैं। हमें यह विश्लेषण करने की जरूरत है कि बुनियादी ढांचे और उद्योगों के मामले में हम दूसरे राज्यों से कहां पिछड़ रहे हैं।' सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस, पटना के अर्थशास्त्री सुधांशु कुमार ने कहा, 'राज्य में शहरी नियोजन पर काम करने की जरूरत है। सूबे में शहरी आबादी का अनुपात बहुत कम है और पटना बिहार का एकमात्र बड़ा शहर है। आने वाले वर्षों में इसे एक स्थायी शहर बनाने के लिए पटना में शहरी सुविधाओं में सुधार करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन बेहतर सुविधाओं के साथ अन्य शहरी केंद्रों को विकसित करने पर भी काम करने की तत्काल जरूरत है। उन्होंने कहा कि, 'हमें यह समझने की जरूरत है कि शहरीकरण और आर्थिक विकास आपस में जुड़े हुए हैं। बेहतर सुविधाओं के साथ और अधिक शहरी केंद्रों को विकसित करने पर काम करने की जरूरत है।'


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