पटना बिहार के मुख्यमंत्री 5 साल बार फिर से शराबबंदी के लिए 'शपथ के पथ' पर हैं। पटना में आज यानि 26 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुम...
पटना बिहार के मुख्यमंत्री 5 साल बार फिर से शराबबंदी के लिए 'शपथ के पथ' पर हैं। पटना में आज यानि 26 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी के लिए शपथ दिलवाएंगे। उधर नीतीश ने ये जानकारी भी दी है कि शराबबंदी पर सरकार अब तक कुल 9 समीक्षा बैठकें कर चुकी है। 'शपथ के पथ' पर नीतीशपटना में ज्ञान भवन के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में सुबह 11:30 बजे सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से शराबबंदी के लिए शपथ दिलाएंगे। सीएम नीतीश कुमार के मुताबिक इस कदम का उद्देश्य शराबबंदी के प्रति जागरूकता फैलाना है और इसको लेकर पूरे बिहार में फिर से अभियान चलाया जाएगा। शपथ, अग्निपथ और सरकार...एक तरफ बिहार में शराबबंदी को फेल बताया जा रहा है। कानून को वापस को लेने की मांग हो रही है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव से लेकर बीजेपी के विधायक तक शामिल हैं। मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'अग्निपथ' से पीछे हटने को तैयार नहीं है। नीतीश कुमार का मानना है कि कानून तो अपना काम करेगा, मगर उससे ज्यादा जरूरी आमलोगों की भागीदारी और जागरूकता है। बिहार में शराबबंदी मजाक बन गया है। अमीर से लेकर गरीब तक कानून का माखौल उड़ाने में शामिल हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कहते हैं कि 'नीतीश कुमार के पास जो लोग बैठते हैं, वही लोग इस काम में लगे हैं। कितने विधायक, कितने मंत्री इस में लगे हैं, कौन-कौन है, यह सब लोग जान रहे हैं। सरकार किस से पूछ रही है? खुद जाकर जांच क्यों नहीं करती है? शराबबंदी के नाम पर सिर्फ ढकोसला किया जा रहा है। हर जगह होम डिलिवरी की जा रही है।' 'प्रतिबंध दिवस' पर फिर शपथ का कोरम?26 नवंबर को फिर से शराब नहीं पीने की शपथ दिलाई जाएगी। वैसे इससे पहले भी बिहार के सरकारी मुलाजिम शराब नहीं पीने की कसमें खा चुके हैं। मगर 'बोतल' देखते ही इनमें कुछ का जी मचलने लगता है और कसमें टूट जाती है। मगर 'सरकार' छोड़ने के मूड में नहीं हैं। फिर से वादा पूरा करने की शपथ दिलाएंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 'सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि शराब पर प्रतिबंध को पूरे प्रदेश में उचित तरीके से लागू किया जाए। इसका उल्लंघन करने वालों समेत सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 26 नवंबर को 'प्रतिबंध दिवस' के मौके पर राज्य के सभी लोग ये शपथ लेंगे कि न तो वह खुद शराब का सेवन करेंगे और न ही इसकी बिक्री होने देंगे।' कर्पूरी वाली चुनौती से कैसे निपटेंगे नीतीश?ऐसी बात नहीं कि शराब बंद करने की कसम खाने वाले नीतीश कुमार पहले मुख्यमंत्री हैं। इनसे पहले साल 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने भी शराब पर प्रतिबंध लगाया था। शराब की कालाबाजारी और कई दूसरे परेशानियों की वजह से ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका। नीतीश सरकार भी कुछ इसी तरह की परेशानियों से जूझ रही है। मगर सीएम नीतीश का धैर्य अभी जवाब नहीं दिया है। एक बार फिर से वो शपथ दिला कर ही मानेंगे। दरअसल बिहार में शराबबंदी लागू करने से पहले पर्याप्त शोध नहीं हुआ। उसके विकल्पों की उपलब्धता और कालाबाजारी जैसे कारणों पर विचार ही नहीं किया गया। इसका ही नतीजा है कि जहरीली शराब की ओर लोग खींचे चले जाते हैं और फिर जान गंवा देते हैं।
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