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सियासत में विरासत न मिलने की टीस, झारखंड के सोरेन परिवार से लेकर गोवा के पर्रिकर तक दर्द-ए-कुर्सी

दिल्ली/रांची राजनीति में विरासत की हकतलफी से बगावत जन्म लेती है। इसके तमाम उदाहरण हैं। महाराष्ट्र और झारखंड की सियासत में इतिहास खुद को द...

दिल्ली/रांची राजनीति में विरासत की हकतलफी से बगावत जन्म लेती है। इसके तमाम उदाहरण हैं। महाराष्ट्र और झारखंड की सियासत में इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। गोवा के सीएम रह चुके मनोहर पर्रिकर की मौत के बाद उनके बेटे उत्पल पर्रिकर को यह टीस है कि पिता के बाद पार्टी से उन्हें जो मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन की भतीजियों को भी शिकायत है कि पिता के निधन के बाद उन्हें उनका 'हक' नहीं मिला। CM चाचा के लिए चुनौती हैं जयश्री-राजश्री झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन इन दिनों विपक्ष से भी ज्यादा असहज किसी से महसूस कर रहे हैं तो वे हैं उनकी दोनों भतीजियां- जयश्री और राजश्री। इन दोनों भतीजियों की मां यानी हेमंत की भाभी सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही विधायक हैं। लेकिन पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद से घर में पाले इसलिए बंट गए हैं कि सीता और उनकी दोनों बेटियों को लगता है कि उन्हें पार्टी और सरकार में वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसकी वे हकदार हैं। जयश्री और राजश्री ने बनाया दुर्गा सोरेन सेना दोनों बहनें जयश्री और राजश्री ने दुर्गा सोरेन सेना का गठन किया था। इस सेना के गठन से कुछ समय पहले से ही दोनों बहनें सोशल मीडिया पर हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों की आलोचना करती रही हैं। दोनों बहनों ने एमबीए और लॉ की पढ़ाई की हैं। पिछले महीने विजयादशमी के मौके पर इन्होंने दुर्गा सेना का गठन किया था। विधायक मां से मिली थी बेटियों को शुभकामना दुर्गा सोरेन सेना गठन के दौरान सीता सोरेन मौजूद नहीं थीं, लेकिन उन्होंने ट्वीट कर यह जरूर कहा था कि 'विजयादशमी के दिन हमारी बेटियां जयश्री और राजश्री द्वारा पिता स्व. दुर्गा सोरेन जी के सपनों को पूरा करने के लिए दुर्गा सोरेन सेना का गठन किया गया है। आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप दोनों पिता द्वारा मिली समाजसेवा की प्रेरणा के साथ जनता की सेवा करेंगी।' संदेहास्पद हालात में हुई थी दुर्गा सोरेन की मौत जेएमएम के संस्थापक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के तीन बेटे थे। उनमें सबसे बड़े दुर्गा सोरेन थे। शुरुआती सालों में उन्हें ही शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी माना जाता था। वह दो बार विधायक भी बने थे। लोकसभा का भी चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। पार्टी महासचिव के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन 21 मई 2009 को वह बोकारो सिटी में अपने निवास पर संदेहास्पद हालात में मृत पाए गए थे। उनके निधन के बाद ही हेमंत उभरे। सीता सोरेन से बहुत आगे निकल गए हेमंत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन चाहती थीं कि उन्हें उनके पति की जगह पार्टी में आगे बढ़ाया जाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। हेमंत उनको पीछे छोड़ते हुए बहुत आगे बढ़ गए। पार्टी पर भी उनकी मजबूत पकड़ हो गई और यह सब मुमकिन भी इस वजह से हुआ कि शिबू सोरेन हेमंत को ही आगे बढ़ते देखना चाहते हैं।


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