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Chhath Puja : लोकआस्था के महापर्व छठ में अर्घ्य देने के लिए 'वाटर टब' की मांग बढ़ी

पटना। सोमवार 8 नवंबर को नहाए खाए के साथ ही लोक आस्था का महापर्व की शुरुआत हो गई है। पटना में कुल 156 घाट में से मात्र 72 घाट को ही छठ व्र...

पटना। सोमवार 8 नवंबर को नहाए खाए के साथ ही लोक आस्था का महापर्व की शुरुआत हो गई है। पटना में कुल 156 घाट में से मात्र 72 घाट को ही छठ व्रतियों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित माना गया है। यानी प्रशासन की ओर से 84 घाट को असुरक्षित घोषित किया गया है। यहां छठव्रती अर्घ्य नहीं दे सकते और न ही इन घाट पर किसी तरह भी लोगों के जमा होने की मनाही की गई है। प्रशासन की ओर से सुरक्षित घाटों पर मेडिकल कैंप की स्थापना के साथ NDRF, SDRF और गोताखोर को नियुक्त किया गया है। प्रशासन की ओर से सभी छठ व्रतियों और आम लोगों से अपील की गई है कि वे किसी भी स्थिति में असुरक्षित घोषित छठ घाटों पर न जायें। इसके अलावा कोरोना को देखते हुए घरों या मोहल्लों में संभव हो तो कृत्रिम घाटों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। छठ घाटों और इससे जुड़े रास्तों में प्रशासन के निर्देश का पालन और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ कोरोना गाइडलाइन को नजरअंदाज न करें। इस बार भी दिख रहा है कोरोना का असर 2020 के मुकाबले 2021 में पटना के घाटों पर खासी रौनक देखी जा रही है। समिति, जिला प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से छठ व्रतियों के लिए घाट पर बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सत्तारूढ़ दल के कई नेता छठ घाटों का निरीक्षण कर चुके हैं और जहां कमियां दिखी उन्हें दुरुस्त करने का निर्देश भी जारी किया। यानी कोरोना वायरस का असर कम होने के बाद एक बार फिर गंगा के तट पर छठ व्रतियों की भीड़ जुटेगी। हालांकि पटना जिले के आधे से अधिक घाट असुरक्षित घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन जो सुरक्षित घाट हैं वहां छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इस प्रकार की व्यवस्था की गई है। अर्घ्य देने के लिए '' की बढ़ी मांग राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से गंगा के तट पर श्रद्धालुओं के लिए बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा विभिन्न मोहल्लों में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर अस्थाई तालाब का भी निर्माण किया गया है, जिसमें गंगा के जल को भी डाला गया है। लेकिन कोरोना काल में लोगों ने जिस प्रकार परेशानियों का सामना किया, उससे बचने के लिए अब अर्घ्य देने के लिए घर के छत पर ही अर्घ्य देने की तैयारी कर रहे हैं। 'वाटर टब' विक्रेता निर्मल कुमार सिन्हा ने बताया कि संभावित कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए लोग अब अपने घर के छत पर ही अर्घ्य देने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 4 फीट से लेकर 8 फीट चौड़े वॉटर टब की मांग काफी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि हालांकि यह 'वाटर टब' बच्चों के लिए होते हैं, लेकिन गंगा के तट पर भीड़ और कोरोना के खतरे को देखते हुए लोग इस वाटर टब को गंगाजल से भर कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का काम अपने छतों पर करते हैं। उन्होंने बताया कि छत पर अर्घ्य देने की शुरुआत काफी पहले हो गई थी, लेकिन इस बार 'वाटर टब' की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जहां 600 वाटर टब बेचे थे। इस बार अब तक दो हजार से ऊपर की संख्या में वाटर टब की बिक्री हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी तरह और भी कई लोग हैं जो पटना में वाटर टब बेचने का काम करते हैं। वाटर टब की कीमत - 4 फ़ीट - 750 रुपये- 5 फ़ीट - 850 रुपये,- 6 फ़ीट - 1100 रुपये,- 8 फ़ीट - 1500 रुपये।


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