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Rajasthan Bypoll Result : राजस्थान के रिजल्ट से गहलोत की बढ़ेगी हैसियत, बीजेपी में कटारिया का 'टशन' बरकरार

प्रमोद तिवारी, जयपुर राजस्थान विधानसभा के वल्लभनगर और धरियावद उपचुनाव में कांग्रेस की जीत लगभग तय है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस ...

प्रमोद तिवारी, जयपुर राजस्थान विधानसभा के वल्लभनगर और धरियावद उपचुनाव में कांग्रेस की जीत लगभग तय है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस जहां वल्लभनगर से अपनी सीट सुरक्षित रखते नजर आ रही है, वहीं धरियावद सीट भाजपा से पूरी तरह छीन चुकी है। धरियावद में चौथे नंबर पर बीजेपी भाजपा ने जहां अपनी धरियावद सीट खोई है, वहां उसके लिए सबसे शर्मनाक स्थिति वल्लभनगर में हुई। जहां उनके उम्मीदवार हिम्मत सिंह झाला एक-दो राउंड को छोड़कर लगातार चौथे स्थान पर बने रहे। यहां से भाजपा के बागी और 2018 में पार्टी उम्मीदवार रहे उदय लाल डांगी ने आरएलपी का दामन थाम कर दूसरे स्थान पर रहे। सीएम गहलोत की बढ़ जाएगी हैसियत इन दोनों उपचुनाव से राज्य की गहलोत सरकार पर तो कोई असर पड़ने वाला नहीं है। मगर वल्लभनगर की सीट बनाए रखने के साथ-साथ धरियावद की सीट भाजपा से छीनने से गहलोत का कद कांग्रेस आलाकमान के नजर में बढ़ जरूर जाएगा। धरियावद में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा राजनीतिक फायदा गहलोत के सबसे विश्वस्त बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को मिलने वाला है। राठौड़ पूर्व में भी सहाड़ा उपचुनाव में चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा के साथ मिलकर पार्टी को वहां ऐतिहासिक जीत दिलवा चुके हैं। कांग्रेस में स्थानीय नेताओं का बढ़ेगा कद इन दोनों उपचुनाव से गहलोत कैबिनेट के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, प्रमोद जैन, उदयलाल आंजना और अशोक चांदना की स्थिति और मजबूत होगी। धरियावद उपचुनाव में कांग्रेस की जीत का धर्मेंद्र राठौर के बाद सबसे अधिक सियासी फायदा सीडब्ल्यूसी के मेंबर पूर्व मंत्री रघुवीर मीणा को मिलेगा, जो साल 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। मगर इस जीत से वह जनजाति में अपनी पकड़ सिद्ध कर पाएंगे। बीजेपी में पूनिया पर भारी पड़ेंगे कटारिया वल्लभनगर और धरियावद में भाजपा की हार पार्टी पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए जाएंगे। वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया राजस्थान के साथ-साथ मेवाड़ में एक बार फिर भाजपा की आवश्यकता बनते नजर आएंगे। दोनों उम्मीदवारों के चयन में कटारिया की राय को तरजीह नहीं दी गई थी। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। कटारिया और उनके समर्थक इसी बात को साल 2023 में होने वाले विधानसभा आम चुनाव में मजबूती से उठाएंगे। जिसका असर मेवाड़ के सातों जिलों के 35 से अधिक उम्मीदवार तय करने में कटारिया की तूती बोलने की संभावना है। इस क्षेत्र में कटारिया ने जनसंघ, जनता पार्टी और अब भारतीय जनता पार्टी तीनों ही वक्त आरएसएस के सहारे कांग्रेस को कमजोर कर भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने का काम बखूबी किया है। चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों ने भी दिखाया दम राज्य में कांग्रेस की सरकार है, मगर मेवाड़ में भाजपा के 20 विधायक थे। जो अब 19 रह गए हैं। कांग्रेस अब 12 की जगह 13 पर पहुंचेगी। दो बीटीपी और एक निर्दलीय विधायक हैं। इन दोनों उपचुनाव में धरियावद में बीटीपी और वल्लभनगर में आरएलपी ने अपना जनाधार बढ़ाया है। जो कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है।


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