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क्‍या टूटती बसपा का खेवनहार बनेगा यह 'ठेकेदार'? संपत्‍त‍ि के मामले में UP के टॉप 10 विधायकों में से एक

लखनऊ बहुजन समाज पार्टी ने उमाशंकर सिंह को बसपा विधानमंडल दल का नेता नियुक्‍त किया है। आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से बसपा विधायक शाह आलम...

लखनऊ बहुजन समाज पार्टी ने उमाशंकर सिंह को बसपा विधानमंडल दल का नेता नियुक्‍त किया है। आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से बसपा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के इस्तीफे के बाद मायावती ने ये फैसला लिया। उमाशंकर बलिया के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और लगातार दो बार, 2012, 2017 में जीत दर्ज कर चुके हैं। वे ठेकेदार भी हैं और संपत्‍त‍ि के मामले में उनका नाम प्रदेश के टॉप 10 विधायकों में आता है। ठेकेदारी के कारण रद्द को चुकी है विधानसभा सदस्‍यताउमाशंकर सिंह पहली बार बसपा के टिकट पर 2012 में रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। 2017 में भी बसपा ने उन्‍हें टिकट दिया और इस बार भाजपा की लहर होने के बाद भी जीतने में कामयाब रहे। उत्‍तर प्रदेश के दूसरे छोर पर स्थि‍त बलिया में उनकी अच्‍छी पैठ है। 2012 में जब वे विधायक चुने गये तब उनके खिलाफ एडवोकेट सुभाष चंद्र सिंह ने 18 दिसंबर, 2013 को शपथ पत्र देकर लोकायुक्त संगठन में शिकायत की, की कि वे विधायक होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य कर रहे हैं। मामले की जांच तत्‍कालीन लोकायुक्‍त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने की। जांच में उमा शंकर दोषी पाये गये। 18 फरवरी 2014 को जांच रिपोर्ट मुख्‍यमंत्री को भेजी गई। मुख्‍यमंत्री ने 19 मार्च 2014 को प्रकरण चुनाव आयोग के परामर्श के लिए राज्‍यपाल को भेजा। तत्कालीन राज्यपाल ने यह प्रकरण तीन अप्रैल 2014 को चुनाव आयोग को भेज दिया। चुनाव आयोग से तीन जनवरी 2015 को अभिमत प्राप्त होने पर उमा शंकर सिंह ने राज्यपाल राम नाईक के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। राज्यपाल ने 16 जनवरी, 2015 को उनका पक्ष सुना। राज्यपाल ने उमाशंकर सिंह के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाते हुये 29 जनवरी, 2015 को उन्हें विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। इस फैसले के खिलाफ उमाशंकर हाईकोर्ट गए, पर 28 मई 2016 को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रकरण में खुद जांच कर राज्यपाल को अवगत कराने का आदेश दिया। इसके बाद 14 जनवरी 2017 को उनकी विधायकी खत्म कर दी गई। इसी साल विधानसभा चुनाव होते हैं और वे बसपा से एक बार फिर विधायक चुने जाते हैं। छात्र जीवन से ही राजनीत‍ि कर रहे उमा शंकर उमा शंकर को अपने विधानसभा क्षेत्र में फ्री वाई-फाई उपलब्‍ध कराने के लिए भी जाना जाता है। वे छात्र जीवन से ही राजनीत‍ि में हैं। बलिया के एएसी कॉलेज से वे पहली बार 1990-91 में छात्रसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए। इसके बाद 2000 में वे जलिा पंचायत अध्‍यक्ष बने। प्रदेश की राजनीत‍ि में आने से पहले उन्‍होंने ठेकेदारी में हाथ आजमाय जिसमें वे काफी सफल रहे। दूसरी बार साल 2017 में भाजपा की लहर में भी उमाशंकर को जीत मिली। एडीआर (एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म) की ओर से उत्‍तर प्रदेश के करोड़पति विधायकों की सूची में उमाशंकर टॉप-टेन विधायकों में शामिल हैं। टूटती बसपा को बचाने की होगी जिम्‍मेदारी उत्‍तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं। प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टिंया इसके लिए दम भर रही हैं, लेकिन बसपा पिछले कुछ समय से ब‍िखराव से जूझ रही है। पार्टी के कई बड़े नेता या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या निकाला जा चुके हैं। उमा शंकर से पहले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा विधान मंडल दल के नेता थे, लेकिन उन्‍होंने अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी। स्‍थि‍त‍ि यह है कि 2017 में जीतने वाले 19 विधायकों में से पार्टी में इस समय पांच विधायक ही मौजूद हैं। इसमें से भी एक मुख्‍तार अंसारी जेल में हैं और वे कह चुके हैं क‍ि वे अब बसपा से चुनाव नहीं लड़ेंगे। पिछले 10 महीने में कई दिग्‍गज नेताओं ने छोड़ा साथ पिछले 10 दिनों में पार्टी के कई दिग्‍गज नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। इसी साल हुए पंचायत चुनाव के बाद मायावती ने विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया। ये दोनों वे नेता थे जा 2017 में भाजपा की लहर में भी अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे। लालजी वर्मा अंबेडकरनगर के कटेहरी और राजभर अकबरपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। दोनों नेता बसपा के साथ कांशीराम के जमाने से थे। इसे पहले जुलाई में दो बार विधायक रहे डॉ. धर्मपाल सिंह वापस सपा में चले गए। एक समय बसपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार कुंवरचंद वकील भी सपा में शामिल हो गए। इसी तरह जनवरी में बसपा नेता सुनीता वर्मा, पूर्व मंत्री योगेश वर्मा सहित कई नेता बसपा छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। अंबिका चौधरी भी साथ छोड़ चुके हैं। कभी बसपा में दिग्‍गज रहे कई नेता वर्तमान सरकार में मंत्री भी हैं।


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