हैदराबाद/भुवनेश्वर देश के पूर्वी तट पर एक बार फिर से चक्रवाती तूफान का खतरा मंडरा रहा है। आंध्र प्रदेश और भुवनेश्वर में का कहर देखने को म...
हैदराबाद/भुवनेश्वर देश के पूर्वी तट पर एक बार फिर से चक्रवाती तूफान का खतरा मंडरा रहा है। आंध्र प्रदेश और भुवनेश्वर में का कहर देखने को मिल सकता है, जो अंडमान सागर को पार कर शुक्रवार की देर शाम या शनिवार की सुबह तक तट से टकरा सकता है। मॉनसून के लौटने के बाद यह पहली बार चक्रवाती तूफान आ रहा है, जिसका केंद्र थाईलैंड में है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस चक्रवात के 3 दिसंबर तक बंगाल की खाड़ी में पहुंचने और केंद्र बनने की उम्मीद की जा रही है। इस साइक्लोन की वजह से ओडिशा, बंगाल, आंध्र में बारिश की आशंका जताई गई है। हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। मछुआरों को आज से लेकर अगले 2-3 दिनों तक बंगाल की खाड़ी में नहीं जाने की सलाह दी गई है। यूपी तक बारिश और ठंड का असर इस तूफान के पश्चिम बंगाल तट को पार करने के बाद झारखंड के धनबाद होते हुए मैदानी इलाकों तक पहुंचने की संभावना जताई गई है। इसके असर से झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और यूपी के भी कुछ इलाकों में बारिश के साथ ठंड बढ़ सकती है। साइक्लोन का नाम इस बार साउदी अरब ने दिया है। अरबी में जवाद का अर्थ दयालु होता है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम, विशाखापत्तनम, श्रीकाकुलम में अलर्ट जारी किया गया है। बंगाल के हावड़ा, मेदिनीपुर, झारग्राम, हुगली, 24 परगना में शनिवार सुबह से ही भारी और कई इलाकों में गरज के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान 55 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा भी चल सकती है। देश में हर साल औसत पांच चक्रवात भारत में चक्रवात के कारण बारिश का असर दिखता है। हर साल औसतन पांच चक्रवात आते हैं। वर्ष 1891 से वर्ष 2017 तक के डाटा एनालिसिस में इस बात का पता चलता है। वर्ष 1970 से देश में करीब 174 चक्रवात आ चुके हैं। चक्रवाती तूफानों के मामले में भारत अमेरिका, फिलीपींस और चीन के बाद चौथे स्थान पर आता है। देश में अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में सबसे अधिक एक्टिव बेसिन हैं, जिससे यहां से उठने वाले साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी और तीव्रता काफी ज्यादा रहती है। कम दबाव का क्षेत्र बनने से बढ़ता है साइक्लोन गर्म इलाकों के समुद्र में मौसम की गर्मी के कारण हवा गर्म होती और ऊपर की तरफ उठने लगती है। वायुमंडल की नमी के साथ मिलकर यह बादल बनाती है। नमी को सोखने के बाद वायुमंडल में जो खाली स्थान बनता है, वहां हवा तेजी से धूमती है और यह आगे की तरफ बढ़ने लगती है। इन तेज हवाओं का व्यास हजारों किलोमीटर का हो सकता है। इस व्यास के आधार पर ही साइक्लोन तेज हवा के साथ बारिश का प्रभाव छोड़ती है।
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