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अमेठी में 5 लाख से अधिक AK-203 राइफल का शुरू होगा निर्माण, मोदी सरकार ने दी मंजूरी

अमेठी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के जरिए देश की बड़ी धनराशि को विदेश जाने में रोकने में सफलता मिल सकती है। वहीं, इस प्रकार के प्रयास द...

अमेठी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के जरिए देश की बड़ी धनराशि को विदेश जाने में रोकने में सफलता मिल सकती है। वहीं, इस प्रकार के प्रयास देश में रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगे। सरकार ने इन बिंदुओं पर कार्य शुरू कर दिया है। बड़े हथियारों के साथ-साथ अब राइफल निर्माण पर भी जोर दिया गया है। केंद्र सरकार ने अमेठी के कोरवा में स्थापित इकाई में पांच लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफल के उत्पादन को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार के इस फैसले ने रक्षा खरीद में मेक इन इंडिया के बढ़ते प्रभाव को दिखाया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रकार का करार का असर पड़ सकता है। अमेठी की इकाई में रूस की साझेदारी से एके-203 असॉल्ट राइफल का उत्पादन किया जाएगा। रूस के साथ रक्षा क्षेत्र में भारत की गहरी साझेदारी है। यह प्रयास उसी का उदाहरण है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर स्थानीय स्तर पर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। एमएसएमई को मिलेगा बूस्टर डोज केंद्र सरकार के इस फैसले से रक्षा क्षेत्र में छोटे-छोटे सामान तैयार करने वाले एमएसएमई को बूस्टर मिलेगा। इसके अलावा अन्य रक्षा उद्योगों को भी कच्चे माल और घटनों की आपूर्ति करने के लिए व्यवसायिक अवसर मिलेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के भारत के बढ़ते रक्षा निर्माण कौशल में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इंसास राइफल की जगह लेगी एके-203 एके-203 राइफल तीन दशक पहले रक्षा बलों को दिए गए इंसास राइफल की जगह लेगी। एके-203 7.62 X 39 मिलीमीटर कैलिबर गन है। यह असॉल्ट राइफल्स 300 मीटर की प्रभावी रेंज के साथ, हल्के वजन, मजबूत और बेहतरीन टेक्नोलॉजी से लैस है। आधुनिक असॉल्ट राइफल्स का उपयोग करने में आसान हैं। यह वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का आसानी से सामना करने के साथ-साथ सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगे। वे काउंटर इंसर्जेंसी और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में भारतीय सेना की प्रभावशीलता को बढ़ाएंगे। इंसास से कई मायनों में बेहतर है एके-203 एके-203 इंसास के मामले में काफी छोटी, हल्की और आधुनिक है। बिना मैगजीन के इंसास का वजन 4.15 किलोग्राम होता है। वहीं, बिना मैगजीन के एके-203 का वजन 3.8 किलो होती है। इंसास की लेंथ 960 मिलीमीटर और एके-203 की 705 मिलीमीटर है। इस कारण इसे खतरनाक बंदूक माना जाता है। एके-203 में 7.62x39 मिलीमीटर की गोली का इस्तेमाल होता है। इंसास में 5.56x45 मिलीमीटर है। कैलिबर के मामले में यह गन काफी खतरनाक है। एके-203 राइफल का इस्तेमाल ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। एके-203 की रेंज करीब 800 मीटर और मैगजीन 30 राउंड तक है। एके-203 में प्रति मिनट 600 बुलेट फायर किया जा सकता है। दोनों देशों के बीच फैसले पर लग सकती है मुहर रक्षा मंत्रालय की ओर से एके-203 के निर्माण को मंजूरी दिए जाने के बाद अब दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में भी मुहर लगने की उम्मीद है। दरअसल, भारत और रूस सैन्य संबंधों को मजबूती देने का लगातार कार्य रह रहे हैं। ऐसे में सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक के दौरान भारत 7.5 लाख एके-203 असॉल्ट राइफल की आपूर्ति का समझौता होना है। हालांकि, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया धीमी होने के कारण पहले 70 हजार रूस में निर्मित राइफल भारत को मिलेंगे। राइफल निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के 32 माह के भीतर इन्हें सेना को दे दिया जाएगा। आईआरआरपीएल की ओर से किया जाएगा उत्पादन एके-203 असॉल्ट राइफल निर्माण की परियोजना को इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) की ओर से पूरा कराया जाएगा। भारत व रूस के सहयोग से आईआरआरपीएल का गठन किया गया है। इसे भारत के पूर्व में स्थापित किए गए आयुध निर्माण बोर्ड (ओएफबी) के जरिए बनाया गया था। हालांकि, अब एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआईएल) व मुनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) और रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (आरओई) और चिंता कलाश्निकोव के साथ इसे तैयार किया गया है।


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