तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में अकेले बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बुधवार को बेंगलुरु में निधन हो गया था। कैप्टन का परिवार भोपाल में रहता है।...
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने दो बार मौत को मात दी है। कुन्नूर हादसे में जख्मी होने के बाद कैप्टन वरुण सिंह आठ दिन तक काल से लड़े हैं। अब वह आखिरी सफर पर हैं। मां ने कहा कि मैंने बेटे को मुक्त किया है।
तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में अकेले बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बुधवार को बेंगलुरु में निधन हो गया था। कैप्टन का परिवार भोपाल में रहता है। गुरुवार को जब उनका पार्थिव शरीर पहुंचा तो अपने वीर को सलाम करने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद कैप्टन के पार्थिव शरीर के साथ पैदल चल रहे थे। उसके बाद कैप्टन के घर के पास पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। हर कोई अपने वीर को सलाम कर रहा था। बुजुर्ग मां अपनी बहू के कांधे पर हाथ थपथपाते हुए कहा कि तुम वीरांगना हो। मां उमा सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत में कई अहम जानकारी दी है।
छह महीने में गर्भ से बाहर आए थे कैप्टन वरुण सिंह
उनकी मां उमा सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि वरुण सिंह का जन्म एक प्री मैच्योर बेबी के रूप में हुआ था। वह छह महीने में ही गर्भ से बाहर आ गया था। मां ने कहा कि वह पैदा होते ही लड़ा है। उस समय भी चमत्कार ही हुआ था। डॉक्टर ने कहा था कि साहस ही इसे बचा सकता है। मां ने कहा कि 1982 में मेडिकल साइंस उतना डेवलप भी नहीं था। मगर उसने लड़ा है।
कैप्टन ने खुद एयरफोर्स में जाने का फैसला किया
मां ने कहा कि मैंने कभी उस पर कुछ नहीं थोपा है। उसने पढ़ाई के दौरान खुद ही कहा था कि मैं फ्लाइंग पायलट बनना चाहता हूं। इसके बाद मां उमा सिंह ने जवाब दिया था कि ठीक है बन जाओ। ग्रुप कैप्टन उमा सिंह इसके बाद तैयारी में जुट गए। उनका सेलेक्शन एयरफोर्स में हो गया। मां ने कहा कि वह फ्लाइंग के लिए ही अपनी पूरी जिंदगी जिया है। साथ ही कई लोगों को ट्रेंड भी किया है।
सबके लाडले थे वरुण सिंह
42 वर्ष की उम्र में काल से लड़ते ही जिंदगी की जंग में कैप्टन वरुण सिंह हार गए। घर में सबसे बड़े थे, इसलिए परिवार में खूब प्यार भी मिला है। उनके पिता भी सेना में कर्नल थे। दादाजी की गोद में खेलते हुए उनकी तस्वीरें अब वायरल है। नौकरी में रहने के दौरान भी वह छुट्टियों में परिवार के साथ खूब समय व्यतीत करते थे। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मां ने बताया कि वह 23 दिसंबर को फिर से घर पर आने वाला था। वह जहां भी है, अब खुश है।
तेजस की कराई थी सेफ लैंडिंग
कैप्टन वरुण सिंह बहुत साहसी थे। उन्होंने कुछ साल पहले ही फाइटर प्लेन तेज की सेफ लैंडिंग कराई थी। इसके लिए उन्हें इसी साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। भोपाल आने के बाद इन चीजों को लेकर वह पड़ोसियों से भी बात करते थे। भोपाल के सन सिटी सोसाइटी में रहने वाले उनके पड़ोसियों ने बताया कि कैप्टन वरुण सिंह जब तेजस को उड़ा रहे थे, तब उसमें तकनीकी खराब आई थी। उसी समय उसमें कुछ अपग्रेडशन हुआ था। इसके बाद उन्होंने अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी थी। ग्रुप कैप्टन ने इसकी सेफ लैंडिंग कराने की ठानी। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर आने के बाद उन्हें इजेक्ट करने को कहा गया था कि मगर उन्होंने देश का नुकसान होने से बचा लिया और तेजस की सेफ लैंडिंग करवाई।
परिवार के साथ खूब व्यतीत करते समय
वरुण सिंह अपने परिवार के साथ वेलिंगटन में ही रहते थे। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। छुट्टियों में वह खूब परिवार के साथ समय व्यतीत करते थे। मौका मिलते ही वह भोपाल आ जाते थे। उनका ससुराल इंदौर में है। कुछ दिन के लिए वहां भी जाते थे। परिवार अब यादों के सहारे ही है। उनकी तस्वीरें नवभारत टाइम्स.कॉम के साथ उनकी बहन ने शेयर की है।
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