जयपुर सियासत में कब क्या बदल जाएं, तो यह कहा नहीं जा सकता। राजस्थान बीजेपी में चल रही खींचतान को खत्म करने के लिए खुद अमित शाह जयपुर आए। र...

जयपुरसियासत में कब क्या बदल जाएं, तो यह कहा नहीं जा सकता। राजस्थान बीजेपी में चल रही खींचतान को खत्म करने के लिए खुद अमित शाह जयपुर आए। राजनीति के जानकारों की मानें, तो यहां शाह पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा के मायने ढूंढ़ने और उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले थे, लेकिन उन्होंने मंच से राजे के नाम की जय-जयकार करा दी। उल्लेखनीय है कि जयपुर कंवेंशन सेंटर में बीजेपी का जनप्रतिनिधि संकल्प महासम्मेलन हुआ। इसमें अमित शाह ने अपने संबोधन के दौरान वसुंधरा राजे का नाम दो-दो बार पुकारा। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का नाम भी नहीं लिया। अब यह जानबूझकर हुआ या संयोगवश, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसके मायने निकाले जा रहे हैं। पूनिया के लिए प्रदेश अध्यक्ष, राजे के लिए यशस्वी मुख्यमंत्री का संबोधन दरअसल सियासी हलकों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ने जब अपने संबोधन की शुरुआत की, तो उस दौरान वसुंधरा राजे का तो नाम लिया, लेकिन सतीश पूनिया का नाम लेने के बजाए प्रदेश अध्यक्ष की कह कर रह गए। संबोधन में अमित शाह ने मंच पर विराजमान नेताओं के नाम लेने की शुरुआत की। उन्होंने सिलसिला प्रदेश अध्यक्ष से शुरू किया, लेकिन उनका नाम ही नहीं लिया। इसके बाद अगला नाम उन्होंने वसुंधरा राजे सिंधिया का लिया। उन्होंने कहा, "राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री, यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधराजी"। अमित शाह के इतना कहते ही वसुंधरा समर्थक भी जोश में आ गए और उन्होंने भी राजे की शान में नारे गूंजा दिए। राजे ने भी शाह की जमकर तारीफ उल्लेखनीय है कि अपने संबोधन में अमित शाह ने जहां वसुंधरा राजे को उनके नाम के साथ संबोधित किया। वहीं राजे ने भी मंच से पीएम मोदी के अलावा अमित शाह की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े। राजे ने सेना के जवानों का जिक्र करते हुए कहा कि एक दौर था , जब सेना का जवान शहीद होता था, तो उसका बैज (टैग) ही घर आता था। इस विषय को पीएम के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी ने गंभीरता से लिया। वहीं इस क्रम को अब केंद्रीय गहृ मंत्री अमित शाह ने और आगे बढ़ा दिया है। शाह ने सेना के जवानों के प्रति अच्छे भाव रखते हुए उनके परिवार के साथ एक साल में 100 दिन तक रहने की अनमुति दी है। क्या बदल रहे हैं सियासी मायने ?जानकारों का कहना है कि हाल ही में वसुंधरा राजे सिंधिया ने राजस्थान में धार्मिक यात्रा का आयोजन किया था। इसके तहत राजे प्रदेश के कई जिलों में गई। वहीं इस दौरान जगह- जगह उनका स्वागत हुआ, लेकिन प्रदेश संगठन के लोग इसमें शामिल नहीं हुए। बताया जाता है कि प्रदेश अध्यक्ष समेत कुछ अन्य राजस्थान भाजपा नेताओं को राजे का यह कदम रास नहीं आया था। अब जब अमित शाह की राजस्थान यात्रा का कार्यक्रम बना तो यह अनुमान लग रहा था कि राजे और उनके समर्थकों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए वह यहां आ रहे हैं। हालांकि अमित शाह ने जिस तरह से वसुंधरा राजे का नाम लिया, उससे सारी आशंकाएं खत्म हो गईं।
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