लखनऊ अकसर विवादास्पद बयानों में रहने वाले वसीम रिजवी इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने जा रहे हैं। वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थ...

लखनऊ अकसर विवादास्पद बयानों में रहने वाले वसीम रिजवी इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने जा रहे हैं। वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि से अपना धर्म परिवर्तन करवाएंगे। इस दौरान डासना मंदिर में कई अनुष्ठान होंगे। वसीम रिजवी के सनातन धर्म अपनाने के ऐलान से राजनीति में हलचल मच गई है। इसे लोग घर वापसी बता रहे हैं। वसीम रिजवी ने खुद इसे घर वापसी करार दिया है। आपको बताते हैं कि कौन हैं वसीम रिजवी? पिता की मौत के बाद बढ़ी जिम्मेदारियां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे वसीम रिजवी खुद एक शिया मुस्लिम हैं। रिजवी एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रेलवे के कर्मचारी थे। रिजवी जब क्लास 6 की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके वालिद (पिता) का इंतकाल हो गया। इसके बाद रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। सऊदी अरब, जापान और अमेरिका में की नौकरी उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए नैनीताल के एक कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके बाद वह सऊदी अरब चले गए और एक होटल में बहुत ही छोटे स्तर पर काम शुरू किया। कुछ दिनों बाद वह जापान चले गए। वहां एक कारखाने में काम किया और यहां से अमेरिका जाकर एक स्टोर में नौकरी की। ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक करियर जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो लगभग दस सालों तक बोर्ड में रहे। वसीम रिजवी 2000 में पुराने लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला वॉर्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) के नगरसेवक चुने गए। 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य बने। 2012 में शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में हेरफेर के आरोप में घिरने के बाद सपा ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की और वहां से उन्हें राहत मिल गई। बयानों के सहारे चमकी राजनीति रिजवी अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहें। राजनीतिक जानकारों की माने तो रिजवी ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुस्लिम विरोध का सहारा लिया है। उन पर इस्लाम-विरोधी होने का आरोप भी लगा। इस्लामी इमामों ने उन्हें इस्लाम से निकालने का भी ऐलान किया। रिजवी ने दिया ये विवादित बयान
- देश की नौ विवादित मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दें मुसलमान
- हिन्दुस्तान की धरती पर कलंक की तरह है बाबरी ढांचा
- पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने कारवां में सफेद या काले रंग का झंडा प्रयोग करते थे
- इस्लामी मदरसों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि ये आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं
- बहुत से मदरसों में आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है, आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती
- जानवरों की तरह बच्चे पैदा करने से देश को नुकसान
- चांद तारे वाला हरा झंडा इस्लाम का धार्मिक झंडा नहीं है, पाकिस्तान मुस्लिम लीग से मिलता जुलता है
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