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समाजवादी रथ पर साथ दिखेंगे चाचा-भतीजे! क्या सपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल

प्रेम शंकर मिश्रा, लखनऊ अब घर की ओर रुख करेगा। मंगलवार को यात्रा का आठवां चरण शुरू होगा। इसका रूट मैनपुरी से एटा रखा गया है। इसको लेकर क...

प्रेम शंकर मिश्रा, लखनऊ अब घर की ओर रुख करेगा। मंगलवार को यात्रा का आठवां चरण शुरू होगा। इसका रूट मैनपुरी से एटा रखा गया है। इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि 2017 में बिखरा समाजवादी पार्टी का कुनबा 2022 के पहले घर से शुरू हो रही यात्रा में एक साथ दिख सकता है। इसके चलते कहा जा रहा है कि रथ पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ चाचा शिवपाल यादव को भी सवार करने की तैयारी है। बतादें अखिलेश यादव अब तक सात रथयात्रा निकाल चुके हैं। इस दौरान उमड़ रही भीड़ से सपा नेतृत्व का हौसला और उम्मीदें दोनों बढ़ी हैं। अखिलेश की यात्रा का अगला चरण उन क्षेत्रों में हैं, जिन्हें सपा का गढ़ माना जाता है। रथ मैनपुरी से फिरोजाबाद होते हुए इटावा भी पहुंचेगा। 2017 की लहर में भी मैनपुरी में सपा ने 4 में 3 सीटें जीती थीं। इटावा के जसवंतनगर से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव विधायक हैं। वहीं, फिरोजाबाद में मुलायम परिवार की कई रिश्तेदारियां हैं। खासकर, शिकोहाबाद से सैफई परिवार का गहरा नाता है। इसलिए यह रूट सियासी संदेश के लिहाज से अहम है। एका दिखा समर्थकों को साधने की कवायद सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव 16 दिसंबर को करीब साढ़े पांच साल बाद चाचा शिवपाल यादव के घर पहुंचे थे। इसके साथ ही उन्होंने गठबंधन का ऐलान भी कर दिया था। यह दिलचस्प है कि अखिलेश जब मंगलवार से मैनपुरी में समाजवादी यात्रा निकाल रहे होंगे, उस समय शिवपाल भी सैफई में मौजूद रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि शिवपाल की वहां मौजूदगी महज संयोग नहीं बल्कि सधी रणनीति है। 'घर' में निकल रहे अखिलेश के रथ पर शिवपाल यादव को भी साथ रखने की तैयारी है। विधानसभा चुनाव में नजदीकी मुकाबलों में वोटों का बंटना गहरा असर डालता है। अब चाचा-भतीजा एक मंच पर आ चुके हैं तो समर्थकों और मतदाताओं दोनों को ही एका का साफ संदेश जाना जरूरी है। इसके लिए गृह क्षेत्र से बेहतर जगह नहीं हो सकती। यादव बेल्ट में एकता का यह प्रदर्शन न केवल वोटों के बिखराव की आशंका खत्म करेगा, बल्कि प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की एका के लिए अहम होगा। तो सपा के सिंबल पर ही लड़ेंगे शिवपाल! आधिकारिक तौर पर अखिलेश और शिवपाल भले ही गठबंधन की बात कर रहे हों, लेकिन चुनावी धरातल पर तस्वीर विलय जैसी ही तैयार होने के आसार हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी को 'चाबी' चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था। उनकी पार्टी को 1% से भी कम वोट मिले हैं। ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सिंबल बरकरार रहने के आसार कम हैं और अलग-अलग सीटों पर फ्री सिंबल आवंटित होने की संभावना ज्यादा। अगर गठबंधन में सीटें बांटकर अलग-अलग सीटों पर सिंबल भी अलग-अलग होंगे तो उससे वोटरों को साधना मुश्किल होगा। सूत्रों का कहना है कि अगर सिंबल पुन: आवंटित नहीं होता है तो सपा के साइकिल चुनाव चिह्न पर ही शिवपाल समेत उनके समर्थक चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश का दावा, और मजबूत होंगे 16 दिसंबर को मुलाकात के बाद अखिलेश ने ट्वीट किया कि प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है। वहीं, शिवपाल ने भी अखिलेश से मुलाकात के बाद ट्वीट किया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनके साथ आगामी विधान सभा चुनाव 2022 में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई।


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