पटना/दिल्ली बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राबड़ी देवी के घर शहनाई गूंजनेवाली है। उनके सबसे छोटे संतान और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की क...

पटना/दिल्ली बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राबड़ी देवी के घर शहनाई गूंजनेवाली है। उनके सबसे छोटे संतान और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की कल सगाई है। दिल्ली में इसके लिए खास तैयारी की गई है। कहा जा रहा है कि इसमें सिर्फ 50-60 खास मेहमानों को ही बुलाया गया है। तब 'बहू' वाले बयान पर हुआ था विवाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सगाई पक्की हो गई है। जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। उनका परिवार फिलहाल दिल्ली में है। मगर चार साल पहले तेजस्वी की मां और पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने बताया था कि उनको कैसी बहू चाहिए। जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था, बाद में तेजस्वी से लेकर लालू यादव तक ने सफाई दी थी। राबड़ी ने बताया था 'संस्कारी बहू' के गुण 2017 में लालू यादव के जन्मदिन के मौके पर राबड़ी देवी से मीडिया वालों ने पूछा था कि उनको कैसी बहू चाहिए? तब राबड़ी देवी ने कहा था कि 'वे अपने दोनों बेटों तेज प्रताप यादव (तब तेज प्रताप की शादी नहीं हुई थी) और तेजस्वी यादव के लिए बहू ढूंढ रही हैं।' उन्होंने कहा था कि 'उन्हें सिनेमा और मॉल जाने वाली लड़की नहीं चाहिए बहू के रूप में'। उन्हें अपने बेटों के लिए 'संस्कारी बहू चाहिए'। राबड़ी देवी के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई थी। राबड़ी यादव के इस बयान के बाद कुछ यूजर्स ने काफी आलोचना की थी। लालू-तेजस्वी ने किया था राबड़ी का बचाव राबड़ी देवी ने बयान के बाद खुद सोशल मीडिया पर सफाई दीं थीं। लालू यादव और उनके छोटे बेटे तेजस्वी भी बचाव में आए थे। 'संस्कारी बहू' के परिभाषा को भी समझाया था। लालू यादव ने कहा था कि 'राबड़ी के संस्कारी बहू का मतलब मजबूत इच्छाशक्ति, सरल स्वभाव, परिवार की देखभाल करे और घर के काम को अच्छे से संभाले।' जबकि तेजस्वी ने कहा था कि 'मेरी मां ने संस्कारी बहू के मतलब को गलत तरीके से लिया गया। दरअसल तब राबड़ी देवी ने अपने फेसबुक पोस्ट में काफी विस्तार से 'संस्कारी बहू' के मायने को समझाया था। राबड़ी के संस्कारी बहू में ये गुण चाहिए राबड़ी देवी ने कहा था कि 'संस्कारी बहू के बारे में उनके विचार को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने कहा कि मैंने ये नहीं कहा कि मॉल या सिनेमा जानेवाली बहू नहीं चाहिए। सिनेमा वाली बहू से तात्पर्य फिल्मी कलाकारों से था, ना कि वे लड़कियां जो मॉल-सिनेमा देखने जाती हैं। ना तो मैं फिल्मों में काम करनेवाली स्वावलंबी और आत्मनिर्भर फिल्म अदाकारों को कमतर आंकती हूं और ना ही स्त्रियों के स्वतंत्रता और स्वेच्छा से घूमने-फिरने या जीवनयापन के विरुद्ध हूं। मॉल का तो कहीं कोई जिक्र ही नहीं था। मैं खुद सामाजिक जीवन से जुड़ी हुई हूं और चाहती हूं कि हर महिला सामाजिक रूप से पुरुष प्रधान समाज में एक मजबूत पहचान स्थापित करे।' इसके बाद राबड़ी ने कहा कि 'मेरा तात्पर्य बस इतना था कि मेरा एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक परिवार है। इसलिए मेरे विचार से वह बहू बेहतर होगी जो हमारे सामाजिक परिवेश, परिदृश्य, राजनीति और गरीबों की हमारे परिवार से जो अपेक्षाएं और परिवार की जिम्मेवारियां है उन्हें वो भरी-भांति समझ पाए। संस्कारी एक विस्तृत शब्द है, आप इसे अपने सामाजिक सरोकारों और परिवारिक प्रमुखताओं के हिसाब से कैसे भी परिभाषित कर सकते हैं। देश में किसानों और गरीबों के इतने ज्वलंतशील मुद्दे हैं, उनपर बहस ना करने की बजाए, मुझे कैसी बहू चाहिए इसपर मीडिया क्यों अपनी ऊर्जा खर्च कर रही है?'
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