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कानपुर, आगरा और महोबा में ये क्‍या हो रहा...UP में क्यों हार मान रहीं जिंदगियां?

लखनऊ कानपुर में एक डॉक्टर ने तनाव में अपनी पत्नी, बेटी और बेटे की हत्या कर दी। खुद कहीं चला गया। आगरा में एक कारोबारी ने अपने पूरे परिवार...

लखनऊ कानपुर में एक डॉक्टर ने तनाव में अपनी पत्नी, बेटी और बेटे की हत्या कर दी। खुद कहीं चला गया। आगरा में एक कारोबारी ने अपने पूरे परिवार के साथ सामूहिक आत्महत्या कर ली। महोबा में एक मां ने अपने बच्चों की हत्या करके खुदकुशी कर ली। उत्तर प्रदेश में एक बाद एक इस तरह की दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। तनाव में लोग अपने परिवार को खत्म कर रहे हैं। इस तरह की घटनाओं को थोड़ी सी सावधानियों से रोका जा सकता है। आगरा में परिवार की मिली लाश आगरा के सिकन्दरा क्षेत्र में 38 साल के एक बैटरी कारोबारी योगेश मिश्रा के परिवार ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली। पुलिस को पति-पत्नी और एक बेटी की लाश मिली। जबकि एक बच्ची को नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस को घटनास्थल से चार पेज का एक सूइसाइड नोट भी मिला है। तीनों के शवों को पोस्टमॉर्टम के ल‍िए भेजा गया है। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। एक बच्ची के इलाज चल रहा है। पूरा मामला उसके होश में आने के बाद ही पता चल सकेगा। पुलिस ने बताया कि योगेश का शव पंखे से लटका मिला, जबकि पत्नी और बेटियों को जहर दिया गया था। कानपुर में डॉक्टर ने पत्नी, बेटे और बेटी की ली जान कानपुर के कल्यानपुर थाना क्षेत्र स्थित डिविनिटी आर्पाटमेंट में रहने वाले डॉक्टर सुशील एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जॉब करते थे। परिवार में पत्नी चंद्रप्रभा (48), बेटा शिखर (18) और बेटी खुशी के साथ रहते थे। शुक्रवार शाम डॉक्टर सुशील कुमार ने पत्नी समेत बेटे-बेटी की हत्या कर दी। डॉक्टर सुशील कुमार ने भाई सुनील को मैसेज किया था कि पुलिस को इनफॉर्म करो डिप्रेशन में हूं। डॉक्टर ने लिखा कि वह अब और लाशें नहीं गिन सकते। ओमीक्रोन सबको मार देगा। डॉ. सुशील लापता हैं, पुलिस उनकी तलाश कर रही है। मां ने तीनों बच्चों को मारकर की आत्महत्या यूपी के महोबा ज‍िले में एक मां ने अपनी दो बेटियों और एक बेटे की घर के अंदर हत्या करने के बाद खुद भी फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी। जिस समय महिला ने घटना को अंजाम दिया उस समय घर के सभी पुरुष सदस्य खेत में पानी लगाने गए थे। सुबह जब घरवाले खेत से लौटे तब घटना का खुलासा हुआ। ज‍िले में एक साथ चार लोगों की मौत से पुल‍िस महकमे में हड़कंप मच गया। पुल‍िस ने मौके पर पहुंचकर जांच-पड़ताल शुरू कर दी। क्या कहते हैं साइकियाट्रिस्ट और साइकॉलजिस्ट मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि इस तरह की हत्याएं और आत्महत्याओं के पीछे भौतिकतावादी युग एक बड़ा कारण है। आज हर किसी में आगे बढ़ने की दौड़ है। लोग परिवार की ओर ध्यान नहीं दे रहे। उनका परिवार से लगाव नहीं हो पा रहा है। विभिन्न कारणों से वे तनाव में आते हैं और क्षणिकभर में इस तरह का आत्मघाती कदम उठा लेते हैं लेकिन बहुत मार्मिक होता है। आजकल लोग इम्पलसिव हो रहे हैं। उनमें इमोशन की कमी हो रही है। इसका बड़ा कारण है लोगों का अकेला होना। 'खत्म हो रही संवेदनाएं' डॉक्टर देवाशीष ने बताया कि पहले लोग जॉइंट फैमिली में रहते थे। उनका परिवार से लगाव होता था। कोई न कोई शख्स ऐसा होता था जिससे वे अपने मन की बात शेयर करते थे। एक दूसरे से संवेदनाएं होती थीं। लेकिन अब एकल परिवार में यह खत्म होता जा रहा है। लोग अत्यधिक काम में व्यस्त रहते हैं। उन्हें तनाव बढ़ रहा है। तनाव के चलते उनके दिमाग में आत्महत्या करने जैसा विचार आता है। उन्हें लगता है कि अगर वह नहीं रहे तो उनके परिवार का क्या होगा इसलिए वह परिवार को भी खत्म करना बेहतर समझते हैं। 'व्यवहार में बदलाव न करें नजरअंदाज' डॉ. देवाशीष ने कहा कि ऐसे में हर एक परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों और परिचितों को एक दूसरे के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि डिप्रेशन में आए व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव जरूर आता है, बस हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं। अगर समय पर काउंसलिंग की जाए तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। 'कोरोना महामारी के बाद बढ़ीं घटनाएं' मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अमित आर्य ने बताया कि कोरोना के बाद से लोगों में तनाव बढ़ा है। क्योंकि महामारी में कई लोगों की नौकरियां चली गईं, परिवार के आय के श्रोत रुक गए। कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों और अपनों को खो दिया। कोरोना में उन्होंने जिस तरह मौतें देखीं कि वे तनाव में आ गए। बेरोजगारी और गरीबी के चलते लोगों को लगता है कि उन्हें कुछ हुआ तो उनके परिवार का क्या होगा? क्या भविष्य होगा? लोगों का मनोभाव डिस्टर्ब हो रहा है। 'ऐसे टाल सकते हैं घटनाएं' डॉ. अमित ने बताया कि परिवार के सदस्यों को अपने से जुड़े हर व्यक्ति पर नजर रखें। परिवर्तन हो तो चिन्हित करें। व्यक्ति से बात करें। अपने स्तर से नहीं हो तो क्लिनिकल साइकलॉजिस्ट की मदद लें। उन्होंने कहा कि आजकल परिवार के लोगों को अलर्ट रहना चाहिए। व्यवहार में अगर बदलाव दिखता है तो काउंसलर से जरूर मिलना चाहिए।


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