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मंदिर-मस्जिद पर हावी रहेगा महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा? समझिए, क्या है UP का मूड

लखनऊ उत्तर प्रदेश में चुनावी शतरंज तैयार है और सियासी बिसात बिछने शुरू हो गए हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी हो या विपक्षी समाजवादी पार्टी चुनाव प्...

लखनऊ उत्तर प्रदेश में चुनावी शतरंज तैयार है और सियासी बिसात बिछने शुरू हो गए हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी हो या विपक्षी समाजवादी पार्टी चुनाव प्रचार के जरिए अपनी-अपनी गोटियां सेट करने में जुटे हैं। इस बीच जनता का मूड क्या है, यह समझने के लिए एनबीटी ऑनलाइन लगातार चुनावी पोल करा रहा है। इस बार चुनाव में आम जनता के मुद्दे क्या होंगे? किन बातों पर चुनाव लड़ा जाना चाहिए और एक आम वोटर किस मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट करेगा, यह जानने के लिए शुक्रवार को सवाल पूछा गया था। नतीजों में लोगों ने मंदिर-मस्जिद से ऊपर बेरोजगारी और महंगाई को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बताया है। आगे जानिए पोल के नतीजे- ट्विटर पोल के नतीजे लोगों की राय जानने के लिए एनबीटी ऑनलाइन ने ट्विटर पर एक पोल किया। सवाल था कि इस बार UP विधानसभा चुनाव में वोट करते समय आपके लिए सबसे बड़ा मुद्दा क्या रहेगा? विकल्प के रूप में महंगाई, बेरोजगारी, मंदिर- मस्जिद और अच्छे स्कूल- अस्पताल रखा। लोगों को इस बार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई का लगता है। 29.8 फीसदी लोगों ने महंगाई पर मुहर लगाया। जबकि यूपी चुनाव में दूसरा बड़ा मुद्दा बेरोजगारी बन सकता है। 28.1 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को वोट दिया है। वहीं तीसरे नंबर पर अच्छे स्कूल अस्पताल को वोट मिले हैं। 23.2 फीसदी लोग स्कूल-अस्पताल को ध्यान में रखकर मतदान करने की बात कर रहे हैं। वहीं मंदिर-मस्जिद को 18.9 फीसदी वोट मिले। कोविड के बाद से बढ़ी महंगाई ट्विटर पोल से स्पष्ट है कि इस बार मंदिर-मस्जिद के मुकाबले महंगाई और बेरोजगारी चुनावी मुद्दा बन सकता है। पिछले काफी वक्त से विपक्षी दल सपा, बीएसपी और कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी पर सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमलावर हैं। पोल में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। सरसों तेल, आलू-प्याज, टमाटर, सब्जियों से लेकर रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से आम जनता बुरी तरह प्रभावित है। इसके अलावा कोरोना काल के बाद सभी क्षेत्रों में महंगाई बढ़ी है जिसने आम जनता की कमर तोड़ दी है। यूपी में बेरोजगारी बनेगा चुनावी मुद्दा? दूसरे नंबर में ट्विटर यूजर ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाया है जिसे लेकर विपक्ष इन दिनों योगी सरकार पर निशाना साध रहा है। कांग्रेस ने तो 20 लाख सरकारी नौकरियों का वादा भी कर दिया है। टीईटी पेपर लीक मामले के बाद से विपक्षी दल बेरोजगारी के मुद्दे पर और भी ज्यादा हावी हुए हैं। पिछले दिनों बुंदेलखंड में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे रही है और एग्जाम से पहले पेपर लीक करा दे रही है। उन्होंने वादा भी किया कि सरकार आने पर रोजगार दिया जाएगा। बीएसपी प्रमुख मायावती ने पहले ही साफ तौर पर ऐलान कर चुकी हैं। इस बार चुनावी मुद्दा रोजगार ही रहेगा। अच्छे अस्पताल और स्कूल की मांग पोल में अच्छे स्कूल-अस्पताल तीसरे नंबर का मुद्दा बना है। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान यूपी में अस्पतालों में बेड को लेकर मारामारी देखने को मिली थी। सरार पर अव्यवस्था के इल्जाम लगे थे। लोगों को ऑक्सिजन सिलेंडर तक मुहैया नहीं हो पा रहा था। विपक्ष से लेकर जनता तक ने आरोप लगाया कि कोविड से ज्यादा मौतें लापरवाही और बदइंतजामी से हुई हैं। जाहिर है कि वह दौर लोग भूल नहीं पाए हैं इसलिए अस्पताल का मुद्दा भी इस बार चुनाव में बड़ी चुनौती बन सकता है। पोल के नतीजों पर समाजवादी पार्टी की राय पोल के नतीजों पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका कहते हैं, 'लोगों को बुनियादी सवाल की ओर लौटना चाहिए और लोग लौट भी रहे हैं। यूपी में महंगाई, बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है। पेपर लीक हो रहे हैं और बेकारी हर घर में घुस चुकी है। नौजवान जानता है कि कोई पार्टी नौकरी दे सकती है तो वह सिर्फ समाजवादी पार्टी है क्योंकि इसके मुखिया के पास दूरदर्शिता है।' उन्होंने कहा कि 'समाजवादी पार्टी का चुनावी मुद्दा किसान नौजवान और महिला होगा। इसके अलावा सरकार बनने पर समाजवादी पार्टी बड़ा रोजगार सृजन करेगी। संगठित और असंगठित क्षेत्र दोनों को बूस्टअप करेगी और रोजगार देगी।' ट्विटर पोल के नतीजों पर क्या बोली बीजेपी? बीजेपी प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने कहा, 'जनता जागरूक है। वह समझती है कि महामारी के कारण वैश्विक मंदी है। केवल भारत में ही मंदी और महंगाई नहीं है। पूरी दुनिया में महंगाई आई है लेकिन विपक्ष उसे जानबूझकर तूल देता है। सब जानते हैं महामारी से दिक्कतों के बावजूद सरकार ने तमाम प्रयास किए कि सामान्य जनजीवन प्रभावित न हो।' वहीं मंदिर मुद्दे पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, 'मंदिर हमारे चुनाव का अजेंडा नहीं आस्था का विषय है। भारत अगर जाना जाता है तो राम की जन्मभूमि के रूप में। अगर राम की जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बनेगा तो कहां बनेगा। हमारे लिए विकास अजेंडा है और आगे भी रहेगा' क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट? राजनीतिशास्त्री प्रफेसर एसके द्विवेदी का मानना है कि चुनाव आते-आते वोटर का मूड बदलेगा और मंदिर, विकास, राष्ट्रवाद का मुद्दा बनेगा। उन्होंने कहा, 'महंगाई एक तात्कालिक प्रभाव है। विकास की गति आगे बढ़ेगी तो महंगाई आना स्वाभाविक है। बीजेपी के सामने चुनौतियां तो हैं लेकिन मेरा मानना है कि चुनाव में इससे बहुत नुकसान नहीं होगा।'


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