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Bihar News : अब पार्षद नहीं...जनता चुनेगी मेयर और डेप्युटी मेयर, बिहार सरकार बना रही नया कानून, अप्रैल-मई में चुनाव संभव

पटना बिहार में अब मेयर और डेप्युटी मेयर के पद पर चुनाव का तरीका बदला जाएगा। इसके लिए सरकार एक अध्यादेश लाने जा रही है, जिसके तहत अब वार्ड...

पटना बिहार में अब मेयर और डेप्युटी मेयर के पद पर चुनाव का तरीका बदला जाएगा। इसके लिए सरकार एक अध्यादेश लाने जा रही है, जिसके तहत अब वार्ड पार्षदों के बहुमत के बदले महापौर और उपमहापौर का चुनाव सीधे जनता करेगी। राज्य के 263 शहरों में चुनाव को लेकर तैयारी तेज होने लगी है। नगर पंचायत के मुख्य पार्षद, उपमुख्य पार्षद, नगर परिषद के सभापति, उपसभापति का भी चुनाव अब जनता ही करेगी। अप्रैल-मई 2022 में राज्य के नगर निकायों में चुनाव होने की संभावना हैं। सीधे जनता चुनेगी अपना नगर प्रमुख अब तक जनता सिर्फ वार्ड पार्षद को चुनती थी। जीते हुए पार्षद, मुख्य पार्षद से लेकर मेयर और डिप्टी मेयर तक का चयन करते थे। मगर सरकार इस नियम को बदलने जा रही है। अगले सप्ताह एक अध्यादेश जारी करने का फैसला किया गया है। बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की संबंधित धाराओं में संशोधन किया गया है, ताकि नगर निगमों के मेयर और डेप्युटी मेयर के साथ-साथ अन्य शहरी स्थानीय निकायों () में प्रमुखों के चुनाव की सुविधा मिल सके। अगले सप्ताह जारी होगा नया अध्यादेश बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और राज्यपाल से भी सहमति मिल गई है। नगरपालिका एक्ट में संशोधन का अध्यादेश विधि विभाग को भेज दिया है। शहरी विकास और आवास विभाग के सूत्र के मुताबिक अध्यादेश को अगले सप्ताह जारी किया जाएगा। दरअसल विधानमंडल का सत्र मार्च में प्रस्तावित है, ऐसी स्थिति में सरकार दो महीने का इंतजार नहीं करना चाहती। मेयर का चुनाव जनता करेगी, वार्ड पार्षद नहीं मौजूदा अधिनियम के दो अनुच्छेदों - अनुच्छेद 23(1) और अनुच्छेद 25 में संशोधन करने के लिए कहा गया है। प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों के प्रमुखों और उपप्रमुखों के पदों को भरने का रास्ता साफ हो जाएगा। ये मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी और उत्तराखंड जैसे अन्य राज्यों में चलन में है। साथ ही शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव, पार्टी लाइन पर नहीं होंगे। कोई भी प्रतिनिधि किसी पार्टी के झंडा-बैनर का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। पार्षदों की हॉर्स ट्रेडिंग पर भी लगेगी रोक राज्य सरकार ने ये पहल राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव संबंधित तैयारियों को ध्यान में रखकर किया है। नया कानून सभी 263 नगर निकायों पर लागू होगा। नगरपालिका कानून 2007 में संशोधन के बाद वार्ड पार्षदों की मुख्य पार्षद से लेकर मेयर तक के चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लग सकेगी। पहले दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम का लेन-देन या फिर सेटिंग-गेटिंग होती थी। नगर प्रमुख के लिए पहले से नियम क्या है? इससे पहले नगर निकायों के वार्डों के निर्वाचित पार्षद, नगर निगम के मामले में प्रमुखों, उपप्रमुखों, महापौर और उपमहापौर का चयन करते थे। अनुच्छेद 25 के तहत, नगर निकाय के कुल पार्षदों की एक तिहाई संख्या वाला कोई भी ग्रुप निकाय प्रमुख को हटाने के लिए मनमाने ढंग से नोटिस दे सकता था या फिर हटाने की प्रक्रिया शुरू करा सकता है। बदले हुए हालात में एक भी वार्ड पार्षद या उनका कोई भी ग्रुप मनमर्जी से संबंधित निकाय प्रमुख या महापौर को हटा नहीं पाएगा।


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