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गाजियाबाद: दूसरी लहर में अपनों को खो दिया, ओमीक्रोन के खौफ से बने डिप्रेशन के मरीज

गाजियाबाद गाजियाबाद के वैशाली में रहने वाली अंशिका जैन ने कोरोना की दूसरी लहर में अपने पति को खो दिया था। जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा तो लगा...

गाजियाबाद गाजियाबाद के वैशाली में रहने वाली अंशिका जैन ने कोरोना की दूसरी लहर में अपने पति को खो दिया था। जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा तो लगा ही, उस पर आफत यह कि वह ही घर के इकलौते कमाने वाले मेंबर थे। ऐसे में अंशिका धीरे-धीरे एंग्जाइटी का शिकार होती चली गईं। लेकिन आसपड़ोस, रिश्तेदार और घरवालों का सपोर्ट मिला तो वह तनाव से उबरने लगीं। काफी हद तक ठीक भी हो रही थीं कि अचानक ओमीक्रोन के खौफ ने उनमें फिर से एंग्जाइटी बढ़ा दी। बात-बात पर चिंतित होना, बैठे-बैठे सोचते रहना और हर चीज में निगेटिविटी देखने के चलते घरवालों ने अंशिका की काउंसिलिंग शुरू करवाई। जिला अस्पताल से दवाइयां फिर से शुरू हो गईं। यह हाल अंशिका जैसे उन तमाम लोगों का है, जिन्होंने कोविड की दूसरी लहर में या तो अपनों को खो दिया या फिर नौकरी व बिजनेस चले जाने से आर्थिक तंगी में डूब गए। वे इससे उभर भी नहीं पाए थे कि तीसरी लहर ने दस्तक दे दी। ऐसे में जो मरीज ठीक हो रहे थे, उनमें दोबारा डिप्रेशन बढ़ने लगा। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास इन दिनों कई केसेज बढ़ गए हैं। जिला अस्पताल में शुरू की काउंसिलिंग, हेल्पलाइन नंबर भी जारी जिला अस्पताल गाजियाबाद में भी 2021 में कोरोना काल से प्रभावित करीब 400 केस पहुंचे थे। इनमें से काफी ठीक हो रहे थे, लेकिन अभी तीसरी लहर आते ही फिर से केस बढ़ गए। पिछले साल के 223 मरीजों की हालत बिगड़ी। कुछ नए केस भी इन दिनों आ रहे हैं। ऐसे में जिले के सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने मिलकर काउंसलिंग शुरू कर दी है। मनोचिकित्सक डॉ. एके विश्वकर्मा ने बताया कि पुराने सभी केस की काउंसलिंग शुरू हो चुकी है, जिससे उन पर इस तीसरी लहर का बुरा असर न हो। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 01204155313 भी जारी किया गया है। यहां कोई भी काउंसलिंग के लिए संपर्क कर सकता है। 6 लोगों की टीम कर रही है मरीज को समझाने का काम डॉ विश्वकर्मा ने बताया कि पूरी टीम में 5 से 6 लोग हैं। लगातार काउंसलिंग चलती है, जिसमें दूसरी लहर से प्रभावित मरीजों को दोबारा से काउंसलिंग दी जा रही है। इसमें बदलाव भी देखे गए हैं। ये कार्यक्रम दो श्रेणी में चल रहे हैं। पहला सामान्य ओपीडी और दूसरा सीएमओ स्तर से कार्यक्रम हो रहे हैं। किया नजरअंदाज तो डिप्रेशन विद साइकोसिस की आशंका साइकोथेरेपिस्ट काउंसलर डॉ. रागिनी सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की जिंदगी में कई बदलाव आए थे। ये ज्यादा बदलाव बुरे परिणाम के रूप में दिखे। इस दौरान लोग मानसिक बीमारी के शिकार हुए। कई लोग अब भी चारदीवारी में बंद हैं, अकेलेपन से जूझ रहे हैं, ऐसे में लोगों की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। ओमिक्रॉन का खौफ 2022 में दिखना शुरू हो गया है। ऐसे में उनके पास रोजाना डिप्रेशन या एंग्जाइटी के 3 से 4 केस आ रहे हैं। उनका कहना है कि मानइर केस डिप्रेशन विद साइकोसिस में बदल सकते हैं, जिसमें लोग अकेले में भी बात करने लगते हैं। कभी चिल्लाते हैं। नींद नहीं आती या बहुत ज्यादा बातें करने लगते हैं। इसे नजरअंदाज न करें। ये है हेल्पलाइन नंबर - 01204155313 ऐसे दूर होगा डिप्रेशन - सकारात्मक माहौल बनाने का प्रयास करें, क्योंकि वक्त है गुजर जाएगा -इस बार का नया वेरिएंट ज्यादा घातक नहीं है, थोड़ी सी सावधानी और इलाज से ठीक हो सकता है - परिवारजन के साथ सिर्फ बैठे नहीं, उन्हें सुनें और बात करें - योग और स्वस्थ दिनचर्या अपनाएं - नींद पूरी लें, रिश्तेदारों या दोस्तों से फोन, विडियो कॉल पर संपर्क में रहें - ऐसी जगह घूमें, जहां ताजी हवा मिले, और वहां ज्यादा लोग भी न हों - अगर कोई हॉबी है तो उसमें समय दें, इससे तन और मन दोनों प्रसन्न होंगे


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